दरअसल, उसे इस सफलता के बारे में ईमेल के जरिए जानकारी लगी। वह शहर के वार्ड क्रमांक-27 चांदमारी मोहल्ला के रहने वाला है। रहीम ने एक्सीलेंस स्कूल से दसवीं तक की पढ़ाई की है। उसे घर की जिम्मेदारियों के चलते मजबूरी में पढ़ाई में छोड़नी पड़ी। पिता शहवाज भी फेरी लगाते थे। उम्र ज्यादा होने के कारण उन्हें परेशानी होने लगी।
मोहम्मद रहीम ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ उसके खेलों की तरफ भी रूझान था। क्रिकेट सहित कई दूसरे गेम्स भी खेलता हूं। मेरे बड़े भाई साइकिलिंग के स्टेट प्लेयर हैं। उन्होंने ही मुझे कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया। जब मैं एक दिन रस्सी कूद रहा था। तब भाई मेरी स्पीड देखकर चौंक गए। उन्होंने मुझे कहा कि तू थोड़ा और मेहनत करेगा तो देश-दुनिया में नाम कमाएगा।
दो साल से चल रही थी प्रैक्टिस
रहीम ने बताया कि वह दो साल प्रैक्टिस कर रहा था। उसके भाई कय्यूम ने बताया कि मैं रहीम की प्रतिभा देखकर अचांभित रह गया। मैंने सक्षम की 4 सेकेंड में ए से जेड तक के अक्षर टाइप कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने की खबर पढ़ी थी। मैंने छोटे भाई का नाम इंडिया बुक में दर्ज कराने सक्षम से संपर्क किया। सक्षम की बताई लिंक पर मैसेज किया और रस्सी कूद का वीडिया भेजा। फिर उन्होंने 10 अप्रेल 25 को रस्सी कूद का ऑनलाइन टेस्ट लिया। 23 को सफल होने का मैसेज मिला तो खुशियों का ठिकाना न रहा। 24 को स्पीड पोस्ट से अवार्ड भी घर पहुंच गया। मोहम्मद कय्यूम ने बताया, छोटे भाई रहीम की प्रतिभा देख मैं भी दंग रह गया था। मैंने पंन्ना के सक्षम की 4 सेकेंड में ए से जेड तक के अक्षर टाइप कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने की खबर पढ़ी थी। मैंने छोटे भाई का नाम इंडिया बुक में दर्ज कराने सक्षम से संपर्क किया। सक्षम की बताई लिंक पर मैसेज किया और रस्सी कूद का वीडिया भेजा। फिर उन्होंने 10 अप्रेल 25 को रस्सी कूद का ऑनलाइन टेस्ट लिया। 23 को सफल होने का मैसेज मिला तो खुशियों का ठिकाना न रहा। 24 को स्पीड पोस्ट से अवार्ड भी घर पहुंच गया।