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राजनीति

केजरीवाल के नहले पर मोदी के दहले ने दिलाई जीत

-मोदी की गारंटी, महिला और मध्यम वर्ग से भाजपा ने खत्म किया सत्ता का सूखा

-दिल्ली विधानसभा और MCD की डबल एंटी इन्कमबेंसी, शराब और शीशमहल कांड से छवि पर पड़े असर, मुफ्त बिजली पानी से आगे कुछ नया नहीं-इसलिए हारी आप

नीमचFeb 10, 2025 / 02:39 pm

Navneet Mishra

PM Modi And Arvind Kejriwal

PM Modi And Arvind Kejriwal

वनीत मिश्र

नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी प्रचंड बहुमत से विजय का सिलसिला जारी रखा। दिल्ली की जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि 27 साल से सत्ता का सूखा खत्म करने में पार्टी सफल रही। आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल के हर नहले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने दहला चलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मसलन, केजरीवाल ने कहा- हम हारे तो मुफ्त-बिजली-पानी मिलना बंद हो जाएगा तो भाजपा बोली- सभी फ्री की योजनाएं चलती रहेंगी। केजरीवाल ने कहा- हम महिलाओं को 21 सौ देंगे, तो भाजपा ने कहा- हम 2500 देंगे। भाजपा ने जरूरतमंद जनता के मन से यह डर हटा दिया कि उसके सत्ता में आने से सब्सिडी वाली योजनाएं बंद होगी, बल्कि यह भी संदेश दिया कि वह कुछ और भी बढ़चढ़कर देगी, साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर करेगी। दिल्ली के अंदर और बाहर 1 लाख करोड़ से अधिक के रोड आदि प्रोजेक्ट भाजपा ने खूब गिनाए। जबकि 10 साल की एंटी इन्कमबेंसी से जूझ रही आम आदमी पार्टी के पास पुराने वादों के अलावा कुछ नया नहीं था। चूंकि महिलाओं को पैसे सहित कुछ वादे पिछले चुनाव के अधूरे थे, तो इस बार फॉर्म भराने के बावजूद जनता ने ऐतबार नहीं किया। भाजपा की जीत में एम फैक्टर-महिला, मध्यम वर्ग और मोदी गारंटी का अहम रोल रहा।

ऐन वक्त पर हुए फैसलों ने पलट दिया चुनाव

पहले केंद्रीय कर्मचारियों को 8 वें वेतन आयोग के एलान और फिर मतदान से ठीक पहले एक फरवरी को बजट में 12 लाख सालाना कमाई वालों की आयकर माफी की घोषणा ने दिल्ली के उस मध्यमवर्ग को गदगद कर दिया जो लोकसभा में तो भाजपा को वोट करता था, लेकिन सब्सिडी वाली योजनाओं के चक्कर में विधानसभा चुनाव में आप को चला जाता था। 39 प्रतिशत से जिस तरह से भाजपा 45 प्रतिशत से ज्यादा इस बार वोट पाई, उससे मध्यमवर्ग के समर्थन का संकेत स्पष्ट है।

डबल एंटी इन्कमबेंसी से पार नहीं पाए केजरीवाल

इस बार “आप “ को डबल एंटी इन्कमबेंसी झेलनी पड़ी। 10 साल से राज्य की सत्ता के खिलाफ नाराजगी तो थी ही, निगम चुनावों में जीत के बाद एक और एंटी इन्कमबेंसी पैदा हो गई। कूड़ा, सफाई, सीवर और कॉलोनियों की समस्याओं का सीधा वास्ता एमसीडी से होता है। इससे पहले भाजपा को यही कीमत चुकानी पड़ती थी। जब वह एमसीडी की सत्ता में होती थी, लेकिन विधानसभा में मत प्रतिशत प्रदर्शन में सुधार के बावजूद कभी कांग्रेस तो कभी आप की सरकार बन जाती थी। गरीबों और मध्यवर्ग के मसीहा के तौर पर करिश्माई छवि से पिछले दो चुनावों में 60 से ज्यादा सीटें जीतने वाले केजरीवाल जब शराब घोटाले में जेल गए और फिर शीशमहल कांड में घिरे तो उनकी उस वर्ग में छवि खराब हुई जो उनसे बहुत क्रांति की उम्मीदें लगाए हुए थे। जिस पब्लिक परसेप्शन(जनधारणा) के दम पर वे तीन बार मुख्यमंत्री बने, वही पूंजी वो गंवा बैठे…।

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