उदयपुर से ट्रेन की जगह बस से आई
विजेता बीएड की पढ़ाई कर रही थी। साथ में टीचर बनने के लिए कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रही थी। विजेता उसी लेकसिटी ट्रेवल्स की बस में सवार थी, जो इस हादसे में पूरी तरह से जल गई थी। विजेता एग्जाम देने के लिए उदयपुर गई थी। 19 दिसंबर को एग्जाम देने के बाद उसे अगले दिन सुबह 6 बजे ट्रेन से जयपुर लौटना था, लेकिन जल्दी फ्री होने पर बस से रवाना हो गई। उसने रात करीब 9 बजे उसने घर पर बात की थी कि बस में बैठ गई हूं, सुबह जयपुर पहुंचकर फोन करूंगी।
पिता से फोन पर कहा-ब्लास्ट हो गया, मैं आग में घिर गई
विजेता के पिता रामचंद्र ने बताया की बेटी सुबह 6 बजे 200 फीट बाइपास पर उतरने वाली थी। हादसे के वक्त वह बस के केबिन में खड़ी थी। मेरी बेटी काफी हिम्मत वाली थी। आग की लपटों से घिरने के बाद भी उसने मुझे फोन किया और कहा था कि पापा मेरी बस ब्लास्ट हो गई, कुछ समझ नहीं आ रहा। बेटी ने बताया कि जैसे ही धमाका हुआ आग की लपटें बस में आ गई और लोग चपेट में आ गए। आग की लपटें फैलने के बाद मैं बस से कूदी और सडक़ पर दौडऩे लगी। कुछ दूरी पर जाकर मैं रुकी। टीचर बनना चाहती थी विजेता
विनिता अपनी बड़ी बहन और छोटी बहन के साथ जयपुर रहकर पढ़ाई कर रही थी। विनिता 8वीं तक प्रतापगढ़ में पढ़ी थी। इसके बाद 12वीं तक सीकर में पढ़ाई की। अभी वह जयपुर के एलबीएस कॉलेज से बीएड कर रही थी। रामचंद्र ने बताया की वे खुद शिक्षक हैं। विजिता दूसरे नंबर की बेटी थी। पढ़ाई में होशियार थी। मुझसे अक्सर कहा करती थी मैं आपकी तरह टीचर ही बनूंगी। आप तो बस बहनों को डॉक्टर बनाओ।
एसटीसी करने के बाद वह बीएड कर रही थी। अपने करियर को दिशा देने के लिए वह उदयपुर परीक्षा देने के लिए गई थी। लौटते समय बस हादसा हो गया। 70 प्रतिशत तक झुलसने के बाद भी परिवार को पूरी उम्मीद थी की वह बच जाएगी। मंगलवार तक उसका ऑक्सीजन लेवल सही चल रहा था। परिवार के लोगों सहित अन्य सभी भी दुआ कर रहे थे कि बेटी बच जाए, लेकिन विजिता की सांसें व उम्मीदों की डोर टूट गई।