scriptSarus crane decreasing: राजस्थान में सारस की सांसों पर गहराता जा रहा संकट, दिनो-दिन घट रही संख्या | Worrying: The breathing crisis of cranes in Rajasthan is getting worse, their numbers are decreasing day by day | Patrika News
प्रतापगढ़

Sarus crane decreasing: राजस्थान में सारस की सांसों पर गहराता जा रहा संकट, दिनो-दिन घट रही संख्या

दुनिया में सबसे ऊंचा उड़ने वाले पक्षी सारस आज अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। राजस्थान में बीते दो दशकों में इसकी संख्या में लगातार गिरावट देखी गई है।

प्रतापगढ़May 22, 2025 / 10:55 am

anand yadav

राजस्थान में तेजी से घट रहे सारस, पत्रिका फोटो

देवीशंकर सुथार
Rajasthan News: सारस, जो दुनिया के सबसे ऊंचे उड़ने वाले पक्षियों में गिना जाता है, आज अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। बीते दो दशकों में इसकी संख्या में लगातार गिरावट देखी गई है। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले समेत राज्य में वेटलैंड की कमी, जलस्रोतों का सूखना, कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग और प्रदूषण में बढ़ोतरी जैसे कारणों ने इसके प्राकृतिक आवासों को नष्ट किया है।
प्रतापगढ़ जिले में तालाबों और खेतों के आसपास सारस के झुंड आम तौर पर दिखते थे, लेकिन अब केवल गिनती के जोड़े ही कहीं-कहीं नजर आते हैं। इनकी संख्या में कमी को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इसे संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों की सूची में शामिल किया है।
पर्यावरण असंतुलन और मानवीय दखल से संकट में प्रजाति, पत्रिका फोटो

आठ में से 4 प्रजातियां भारत में

विश्व में सारस की आठ प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से चार भारत में पाई जाती हैं। इनमें भारतीय सारस (क्रोंच), ब्लैक-नेप्ड क्रेन, कॉमन क्रेन और डिमॉइजल क्रेन प्रमुख हैं। यह राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित कई राज्यों में पाया जाता है।
यह भी पढ़ें

माध्यमिक शिक्षा विभाग में 5 साल में फर्जीवाड़े से नौकरी लगे मुन्नाभाई, जानिए कितने कार्मिक हुए चिन्हित

जीवन में एक ही साथी

सारस जीवन में एक ही साथी बनाता है और जीवनभर उसी के साथ रहता है। यदि एक की मृत्यु हो जाए तो दूसरा भी अकेले जीवन व्यतीत करता है। यह शाकाहारी पक्षी वेटलैंड और दलदली क्षेत्रों में घोंसला बनाता है। मादा एक बार में 3-4 अंडे देती है। इसकी ऊंचाई 6 फीट और पंखों का फैलाव 2.5 मीटर तक होता है।
जलस्रोत सूखने, कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग से घट रहे सारस, पत्रिका फोटो

ईको सिस्टम बचाने पर होगा जीवों का संरक्षण

गत कुछ वर्षों से इको सिस्टम पर काफी असर हो रहा है, जिससे सारस समेत कई पक्षियों की संख्या में कमी हो रही है। सारस पक्षी का संरक्षण होना चहिए। जागरूकता लाकर इकोसिस्टम और सारस सहित अन्य पक्षियों को बचाया जाना चाहिए। मंगल मेहता, पर्यावणरविद्, प्रतापगढ़
यह भी पढ़ें

गर्मी में बिगड़ रही सेहत की गारंटी, बढ़ते तापमान से दवाइयां अमानक होने का खतरा

पर्यावरण को हो रहा नुकसान

गत वर्षों से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में इको सिस्टम काफी प्रभावित हो रहा है, जिसमें सारस की संख्या भी कम होती जा रही है। ऐेसे में पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी को बीड़ा उठाना होगा। सभी पहलुओं का ध्यान में रखकर संरक्षण के उपाय करने होंगे। हरीकिशन सारस्वत, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़

Hindi News / Pratapgarh / Sarus crane decreasing: राजस्थान में सारस की सांसों पर गहराता जा रहा संकट, दिनो-दिन घट रही संख्या

ट्रेंडिंग वीडियो