ईरान गए तीर्थयात्रियों में प्रयागराज के दरियाबाद, करेली, रानीमंडी, नैनी, दांदूपुर, सैदपुर, कोराली, राले, हंडिया, बहादुरगंज, जीरो रोड चक और हनुमानगंज जैसे इलाकों के लोग शामिल हैं। इन तीर्थयात्रियों में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी बड़ी संख्या में हैं।
दो जत्थे ईरान में फंसे हैं
पहला जत्था दरियाबाद के डॉ. कमर आब्दी की अगुवाई में गया था, जिसमें 98 लोग शामिल हैं। यह जत्था पहले इराक में पवित्र स्थलों की जियारत कर चुका था और फिर ईरान पहुंचा था। इनकी वापसी 13 जून को होनी थी, लेकिन उसी दिन इस्राइल ने ईरान पर हवाई हमला कर दिया। इसके बाद ईरान ने अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दीं। अब सभी यात्री कुम शहर में अस्थायी होटलों में रुके हैं। डॉ. कमर आब्दी ने बताया कि सुविधाएं सीमित हैं लेकिन सभी सुरक्षित हैं।
दूसरा जत्था मौलाना इंतजार आब्दी के नेतृत्व में गया था
दूसरा जत्था मौलाना इंतजार आब्दी के नेतृत्व में गया था, जिसमें 42 लोग हैं। यह जत्था भी इराक से जियारत कर ईरान पहुंचा है। उनकी वापसी अगले सप्ताह तय थी। मौलाना आब्दी ने बताया कि होटल और स्थानीय प्रशासन उनकी देखरेख कर रहा है। सभी लोग फिलहाल सुरक्षित हैं और जियारत कर रहे हैं, लेकिन माहौल को लेकर सभी चिंतित हैं। लोगों को डर है कि कहीं युद्ध ज्यादा न बढ़ जाए।
तीर्थ यात्रा पर गए थे ईरान
प्रयागराज के करेली निवासी शमीम आलम अपनी पत्नी फरजाना के साथ तीर्थ यात्रा पर ईरान गए थे। उनकी वापसी मंगलवार को होनी थी, लेकिन उड़ानें रद्द होने से वे कुम शहर में फंस गए हैं। बहू राहिल मेहंदी ने बताया कि दोनों सुरक्षित हैं और फ्लाइट शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। करेली की डॉ. शाहीन जैदी और तबस्सुम जैदी भी तीर्थ यात्रा पर गई हैं। उनके भाई मोहम्मद आरिफ ने बताया कि रविवार तक बात हुई थी, लेकिन अब संपर्क नहीं हो पा रहा है। तबस्सुम के पास लोकल सिम नहीं है और व्हाट्सएप भी सही से काम नहीं कर रहा, जिससे चिंता बढ़ गई है।
प्रयागराज के करीब 70 छात्र भी ईरान में फंसे
इसके अलावा, प्रयागराज के करीब 70 छात्र भी ईरान में फंसे हैं, जो इस्लामिक स्टडीज के लिए वहां पढ़ाई कर रहे हैं। हर साल मोहर्रम से पहले वे भारत लौटते हैं, लेकिन इस बार हालात ने रुकावट डाल दी है। एक छात्र के पिता ने बताया कि भारतीय दूतावास ने बेटे से संपर्क किया है और जल्द लौटने की उम्मीद है।