कोर्ट ने दोनों मामलों में ओकेंद्र सिंह राणा की गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक लगाते हुए निर्देश दिया है कि वह पुलिस जांच में पूरा सहयोग करें। उपनिरीक्षक द्वारा दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 98/2025 के संबंध में कोर्ट ने कहा है कि यदि जांच के दौरान उसके खिलाफ कोई ठोस और विश्वसनीय साक्ष्य मिलते हैं, तो उसकी गिरफ्तारी की जा सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अर्नेश कुमार और एमडी असफाक आलम मामलों में तय किए गए दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य रहेगा।
इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि विवेचना अधिकारी (IO) 60 दिनों के भीतर जांच पूरी कर बीएनएसएस की धारा 193(3) के तहत रिपोर्ट मजिस्ट्रेट अदालत में प्रस्तुत करें। वहीं, रणधीर सुमन की शिकायत पर दर्ज मुकदमे को लेकर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक पुलिस रिपोर्ट पर मजिस्ट्रेट संज्ञान नहीं लेते, तब तक याची की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस याचिका पर छह सप्ताह के भीतर जवाब भी मांगा है।
हाईकोर्ट के इस आदेश को आरोपी के लिए अंतरिम राहत माना जा रहा है, हालांकि आगे की कार्रवाई पुलिस जांच और अदालत में पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।