महाकुंभ में संगम स्नान करने आएं तो कहां-कहां करें दर्शन? ये मंदिर हैं घाटों से बेहद करीब
संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन होने जा रहा है। अगर आप संगम स्नान करने आ रहे हैं तो संगमस्थल के आस-पास के कुछ प्रमुख मंदिरों में दर्शन कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कौन हैं वो प्रमुख मंदिर।
प्रयागराज में कई प्राचीन मंदिर हैं। इनमें से कुछ मंदिर संगमस्थल से बेहद करीब हैं। इन मंदिरों की पौराणिक मान्यताएं भी हैं। अब इन सभी मंदिरों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण सीएम योगी की ओर से किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित प्राचीन नागवासुकी मंदिर पौराणिक समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर दारागंज मोहल्ले में त्रिवेणी संगम के तट पर स्थित है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय सर्पराज नागवासुकी ने रस्सी के रूप में देवताओं और असुरों की सहायता की थी। मंथन के बाद भगवान विष्णु के आदेश पर नागवासुकी ने प्रयाग में विश्राम किया, जहां यह प्राचीन मंदिर स्थित है।
नागवासुकी मंदिर के दर्शन का धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि संगम स्नान के बाद इस मंदिर में दर्शन करने से श्रद्धालु को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। खासकर नागपंचमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। इस दिन श्रद्धालु कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा करते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है। इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को संरक्षित रखते हुए मंदिर को नया स्वरूप दिया गया है। इससे नई पीढ़ी भी इस धार्मिक धरोहर से जुड़ने लगी है।
मनकामेश्वर मंदिर
मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज का एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। विशेष रूप से शिव भक्तों के बीच यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है और इसे मन्नत पूरी करने वाला स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि यहां आने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, खासकर संतान सुख की प्राप्ति के लिए महिलाएं यहां पूजा करती हैं।
अलोपी माता मंदिर
अलोप माता मंदिर जो माता अलोप शंकरी को समर्पित है। यह मंदिर संगम क्षेत्र के पास स्थित है और यहां की पूजा अर्चना से भक्तों को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। श्रद्धालु इसे शक्ति पीठ मानते हैं जहां देवी की विशेष कृपा से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। माना जाता है कि यह स्थान विशेष रूप से महिलाएं अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पवित्र मानती हैं।
एकलौता मंदिर जहां शयन मुद्रा में हैं हनुमान जी की मूर्ति
भारत में हनुमानजी के कई प्राचीन और अद्भुत मंदिर हैं जिनमें प्रयागराज के संगम तट पर स्थित लेटे हनुमानजी का मंदिर विशेष है। यह दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां बजरंगबली आराम की मुद्रा में लेटे हुए दिखाई देते हैं। इन्हें बड़े हनुमानजी किले वाले हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी भी कहा जाता है। मान्यता है कि उनकी भुजा के नीचे राक्षस अहिरावण दबा हुआ है। यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था और चमत्कार का केंद्र है जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
शंकर विमान मंडपम प्रयागराज
प्रयागराज (इलाहाबाद) में बना शंकर विमान मंडपम भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। आदि शंकराचार्य की स्मृति में बना यह मंदिर त्रिवेणी संगम के तट पर स्थित है। यह मंदिर 130 फीट ऊँचा मंदिर है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है। जो शास्त्री पुल से देखने पर यह मंदिर भव्य व अलौकिक लगता है। इस मंदिर में जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कुमारी भट्ट, कामाक्षी देवी, योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) और तिरुपति बालाजी (108 विष्णु भगवान) सहित विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में श्रद्धालुओं का आगमन बढ़ता है और मंदिर भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनता है। महाकुंभ स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु इस प्राचीन मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य आते हैं। नागवासुकी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारतीय संस्कृति और पौराणिक धरोहर को भी संजोए हुए है।
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