इन बस सेवाओं का मकसद ऐसे गांवों तक परिवहन सुविधा देना
इन बस सेवाओं का मकसद ऐसे गांवों तक परिवहन सुविधा देना है जहां तक पहुंचना मुश्किल होता है। ये लास्ट माइल कनेक्टिविटी यानी अंतिम छोर तक सेवाएं पहुंचाने के लिए है। स्थानीय विधायकों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों और जिला पंचायत सदस्यों के साथ विस्तृत वार्ताओं और फील्ड सर्वे के बाद ही ये रूट तैयार किए गए हैं। यूपीएसआरटीसी प्रयागराज के क्षेत्रीय प्रबंधक रविंद्र कुमार के मुताबिक सभी पक्षों की मांगों को ध्यान में रखकर ये रूट तैयार किए गए हैं।
ग्रामीण सड़कों पर चलाने के लिए ही किया गया तैयार
उन्होंने कहा कि जनता की मांग को ध्यान में रखकर तय किया गया है कि ये बसें किन किन गांवों से गुजरेंगी। ये सभी बसें 42 सीटर हैं और इन्हें ग्रामीण सड़कों पर चलाने के लिए ही तैयार किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इन बसों में से 34 अब तक अपने-अपने डिपो में पहुंच चुकी हैं। बाकी बसें अगले कुछ दिनों में प्रयागराज पहुंच जाएंगी। जो 55 रूट निर्धारित किए गए हैं उनमें से 25 प्रयागराज से शुरू होंगे। 19 प्रतापगढ़ से चालू होंगे। बाकी रूट प्रयागराज के आसपास के इलाकों से होंगे।
इन शहरों से भी होगी कनेक्टिविटी
इन रूट में लखनऊ, जौनपुर, चित्रकूट और वाराणासी जैसे शहरों से भी कनेक्टिविटी होगी। प्रतापगढ़ से शुरू होने वाले रूट लखनऊ, अयोध्या, कानपुर जैसे शहरों को जोड़ेंगे। ये बसें प्रयागराज के करीब के दुर्गागंज, जामताली और पट्टी जैसे क़स्बों से होकर गुज़रेंगी। न्यायीपुर और नवाबगंज के रास्ते चित्रकूट का रूट होगा और होलागढ़ और हाथी गांव के रास्ते बस सुल्तानपुर को जाएगी।