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भारत के लिए बढ़ते खतरे और बदलते समीकरण!

बांग्लादेश की पाकिस्तान नीति में बदलाव आया है। कई वर्षों बाद कराची से एक मालवाहक जहाज चटगांव पहुंचा। पाकिस्तान पर लगे कई प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। यूनुस ने दक्षेस को पुनर्जीवित करने और पाकिस्तान से संबंध सुधारने की बात कही है। ये सभी भारत के लिए संकेत हैं और यह एक तरह से ताक-झांक की नीति का हिस्सा है।

जयपुरDec 11, 2024 / 11:45 am

Hemant Pandey

अब बांग्लादेश का पाकिस्तान से ज्यादा नजदीकियां बढ़ रही हैं। इससे भारत के साथ तनाव अधिक होना स्वभाविक है। बीते हफ्ते बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद तनाव और भी बढ़ गया।

अब बांग्लादेश का पाकिस्तान से ज्यादा नजदीकियां बढ़ रही हैं। इससे भारत के साथ तनाव अधिक होना स्वभाविक है। बीते हफ्ते बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद तनाव और भी बढ़ गया।


बांग्लादेश संकट: भारत इस चुनौती को समझता है। हमारे नीति निर्माता इससे उसी तरह निपटेंगे, जैसा पहले भी कर चुके हैं।

पिनाक रंजन चक्रवर्ती, आप बांग्लादेश-थाईलैंड में राजदूत और मिस्र, सऊदी अरब, यूके, पाकिस्तान, इजरायल में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

बांग्लादेश फिर राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। देश अस्थिरता और अवामी लीग के सदस्यों और हिंदुओं के खिलाफ व्यवस्थित हिंसक प्रतिशोध में उलझा है। बांग्लादेश के अनिश्चित राजनीतिक भविष्य के क्षेत्रीय स्थिरता और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिए रणनीतिक निहितार्थ हैं। छात्र आंदोलन की आड़ में शेख हसीना की सत्ता से बेदखली अमरीका व पाकिस्तान की सुनियोजित योजना का हिस्सा थी। बांग्लादेश की सेना अमरीकी योजना के अनुरूप चली। चीन भी पाकिस्तान के जरिए इस योजना से अवगत था। अब बांग्लादेश का पाकिस्तान से ज्यादा नजदीकियां बढ़ रही हैं। इससे भारत के साथ तनाव अधिक होना स्वभाविक है। बीते हफ्ते बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद तनाव और भी बढ़ गया।

युनुस अमरीका के बहुत करीब हैं और शेख हसीना के प्रति उनका व्यक्तिगत द्वेष है। उनके ग्रामीण बैंक से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं के मामलों में उन्हें फंसाने से यह द्वेष शत्रुता के स्तर तक चला गया। हसीना ने सार्वजनिक रूप से युनुस को सूदखोर तक कहा, जो इस्लाम में वर्जित है। अंतरिम सरकार ने युनुस पर लगे सभी मामले खारिज कर दिए हैं।
हसीना के जाने के बाद जो शुरुआती उत्साह दिखा, वह बांग्लादेश को स्थिर व समृद्ध लोकतंत्र में बदलने का कोई जादू नहीं कर पाया। अंतरिम सरकार की संवैधानिक वैधता पर बड़ा सवालिया निशान बना हुआ है। अंतरिम सरकार भारत के बजाय अमरीका, चीन व पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ा रही है। अमरीकी प्रतिनिधिमंडल इस सरकार की हौसलाअफजाई करने ढाका के दौरे कर चुके हैं।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का 100 दिनों का कार्यकाल अस्थिरता-अराजकता से भरा रहा है। सरकार में शामिल विभिन्न तबके के लोगों के अलग-अलग एजेंडों के कारण नीतियों में सामंजस्य की कमी है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी तत्काल चुनाव की मांग कर रही है। छात्र नेता सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। ऐसा कोई भी प्रयास निश्चित रूप से भविष्य के किसी भी चुनाव और लोकतांत्रिक मानदंडों की विश्वसनीयता को कमजोर करेगा।

प्रतिशोध की भावना हावी है। आवामी लीग सदस्यों, अल्पसंख्यक हिंदू और आदिवासी समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। सेना और पुलिस की संयुक्त ताकत भी इन्हें पूरी तरह रोकने में असमर्थ है। नतीजतन, हिंदुओं और आदिवासियों का भारत में जबरन पलायन हो रहा है। आवामी लीग नेता और कार्यकर्ता भी भारत भाग गए हैं। मुजीबुर रहमान और रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा को तोड़ा गया। इस्लामवादियों और अन्य कैदियों को माफी के तहत रिहा कर दिया गया है। रिहा किए गए चरमपंथी भारत विरोधी जहर उगल रहे हैं और भारत के विभाजन का आह्वान कर रहे हैं। कुछ जजिया लागू करने की वकालत कर रहे हैं। इस्लामवादी अंतरिम सरकार में घुस गए हैं और यूनुस उन्हें रोकने में असमर्थ या अनिच्छुक प्रतीत होते हैं।

हिंदुओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए इस्कॉन प्रमुख के नेतृत्व में 8 सूत्री मांगें रखी गईं, लेकिन अंतरिम सरकार की प्रतिक्रिया प्रतिशोधात्मक रही। हिंदू सभाओं में भाग लेने वालों पर हमले हुए, सेना-पुलिस मूकदर्शक रही। इस्कॉन पुजारी को ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया जा सकता है। इस गिरफ्तारी से हिंदू विरोधी हिंसा बढऩे की आशंका है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस चिंता को अपने ट्वीट में व्यक्त किया है। बांग्लादेश में भारत विरोधी माहौल के कारण अंतरिम सरकार की ओर से बयानबाजी बढ़ गई है, जिससे भारत में बेचैनी बढ़ी है। हसीना सरकार के लिए भारत के समर्थन को उनके निरंकुश शासन के प्रति सहमति के रूप में देखा जा रहा है। इसलिए, भारत विरोध अंतरिम सरकार और उसके समर्थकों के लिए एक बड़ा हथियार बन गया है।

बांग्लादेश की पाकिस्तान नीति में बदलाव आया है। कई वर्षों बाद कराची से एक मालवाहक जहाज चटगांव पहुंचा। पाकिस्तान पर लगे कई प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। यूनुस ने दक्षेस को पुनर्जीवित करने और पाकिस्तान से संबंध सुधारने की बात कही है। ये सभी भारत के लिए संकेत हैं और यह एक तरह से ताक-झांक की नीति का हिस्सा है। चीन ने उत्साहपूर्वक और अधिक वित्तीय मदद के रूप में ऋ ण देने का वादा किया है। पाकिस्तान के साथ बढ़ते संपर्क से आइएसआइ एक बार फिर बांग्ला भूमि से भारत विरोधी गतिविधियां चला सकता हैं।

बांग्लादेश मुकदमा चलाने के लिए हसीना को देश में बुलाना चाहता है। दोनों देशों में प्रत्यर्पण संधि है, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बांग्लादेश ने अब तक इसके लिए संकोच किया और चाहता है कि हसीना चुप रहें और दिल्ली से बयान जारी न करें। उसे पता है कि भारत द्वारा हसीना को सौंपे जाने की संभावना शून्य है। शुरुआती असंयमित टिप्पणियों के बाद अंतरिम सरकार अब दोनों देशों की परस्पर निर्भरता की बात कर रही है। यूनुस ने नए शासन में भी भारत के साथ घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई है लेकिन हसीना के प्रति भारत के समर्थन से भारत विरोधी भावना बढ़ी है।

भारत, “प्रतीक्षा करो और देखो” की नीति अपना रहा है और आवश्यक खाद्य पदार्थों के निर्यात सहित सामान्य व्यापार को फिर शुरू करने की अनुमति दे दी है। बांग्लादेश में निर्वाचित सरकार का आने में अभी एक या दो साल लग सकते हैं। भविष्य उसे लोकतंत्र की ओर ले जाएगा या संकर इस्लामवाद की दिशा में, यह एक बड़ा प्रश्न है। भारत के लिए बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन ने हसीना सरकार के तहत बहुआयामी घनिष्ठ संबंधों पर आधारित यथास्थिति को बिगाड़ा है। भारत के सामने एक नई चुनौती है, जिसे वह समझता है। भारत के नीति निर्माता इससे उसी तरह निपटेंगे,जैसा कि वे पहले भी कर चुके हैं।

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