यहां तक बस का इंतजार करने वाले यात्रियों को बैठने के लिए भी व्यवस्थित जगह नहीं है। शुरू में एक छोटा सा शेड लगा दिया गया था, जो अब हवा-पानी के चलते पूरी तरह से जर्जर हो गया है।
CG Election 2025: पानी के लिए भी होना पड़ रहा परेशान
इससे यहां बैठने वाले यात्री ठंड में तो परेशान होते हैं। गर्मी के दिनों में धूल से तो बरसात के दिनों बारिश के पानी से भीगने को मजबूर हैं। हालांकि इसकी जानकारी जिला प्रशासन से लेकर विधायक, मंत्री व स्थानीय पार्षदों को भी है, जिससे हर हमेशा यहां जांच के लिए तो पहुंचते हैं, लेकिन इसका कायाकल्प के लिए कोई पहल नहीं किया जाता।
शहर सरकार के चार
कार्यकाल समाप्त हो चुके हैं। शहर सरकार की सत्ता में काबिज महापौर लगातार बदलते गए, लेकिन ट्रांसपोर्टनगर बस स्टैंड के हालात बिगड़ता गया। यही वजह है कि यह बस स्टैंड वर्षों से अपनी दुर्दशा पर आंशु बहा रहा है। स्थिति यह है कि यहां यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। पीने के पानी के लिए यात्रियों को झोपड़ीनुमा होटल पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
महिलाओं के लिए नहीं है शौचालय व्यवस्था
बस स्टैंड में महिलाओं के लिए पूर्व में शौचालय बनाया गया था, जो विगत कई सालों से साफ-सफाई व मेंटेनेंस के अभाव में पूरी तरह से खराब हो चुका है। महिला
यात्रियों को अगर शौचालय जाना होता है तो ट्रांसपोर्टनगर के शौचालय का उपयोग करना पड़ता है, लेकिन समस्या यह है कि यहां हर समय चालक व खलासियों का जमावड़ा लगा रहता है। इससे महिलाएं असहज रहती हैं।
वाटर एटीएम भी बंद
पांच-छह साल पहले यात्रियों को शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए निगम द्वारा वाटर एटीएम लगाया गया था, लेकिन कुछ माह चलने के बाद ही बंद हो गया। अब यहां पीने का पानी ही नहीं है। वहीं विगत दिनों लगातार मांग के बाद रैन बसेरा के पानी टंकी से एक कनेक्शन दिया गया है, लेकिन यह टंकी सालों से खुली पड़ी है। साथ ही इसका कभी सफाई भी नहीं होता, जिसके चलते कोई भी यात्री उक्त पानी को पीने के लिए उपयोग नहीं करते हैं। ऐसे में वहां संचालित
बेसमेंट में संचालित हॉस्पिटल किये सीज, मरीजों को कराया शिफ्टहो रहे होटलों से ही या पानी बोतल खरीदते हैं या उनके पानी मांगते हैं।
हो सकता है बड़ा हादसा
ट्रांसपोर्टनगर बस स्टैंड शहर के बाहर होने के बावजूद यहां न तो पुलिस की तैनाती रहती है और न ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इससे शाम होते ही यहां असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। रैन बसेरा भी सालों से बंद है। महिला यात्रियों के लिए
शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से इनको काफी दिक्कत होती है। इसके साथ ही जिन यात्रियों की बस शाम होती है। उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अगर रैन बसेरा चलता तो काफी सहुलियत होती।
लक्ष्मण सारथी, यात्री
बस के इंतजार में बैठन के लिए भी समुचित व्यवस्था नहीं है। जिस जगह में निगम द्वारा शेड लगाया गया है, वह भी क्षतिग्रस्त होने से हर समय धुल से परेशानी होती है। इसके साथ ही पीने के पानी के लिए ज्यादा परेशान होना पड़ रहा है। दिनेश चौहान, यात्री
स्थानीय निवासी संजीव साहू के कहा की जर्जर शेड के भरोसे संचालित हो रहे बस स्टैंड से हर दिन करीब 10 हजार से अधिक लोग यहां से यात्रा करते हैं, लेकिन व्यवस्था के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। यहां तक यात्रियों को बैठने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होने से काफी दिक्कत हो रही है।
स्थानीय निवासी राजू साहू ने कहा की शाम होते ही आसमाजिक तत्वों का जमावड़ा हो जाता है, लेकिन यहां सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर न तो सीसी टीवी कैमरे है और न ही पुलिस की तैनाती रहती है। इससे यात्री खुद को हर समय असुरक्षित महसूस करते हैं।
ट्रांसपोर्टनगर बस स्टैंड से सुबह से शाम 8 बजे तक रायगढ़ जिला सहित पड़ोसी राज्य ओडिशा के लिए हर दिन 70 से 80 बसों का परिचालन होता है। करीब 10 हजार से अधिक यात्री हर दिन सफर करते हैं। इसके बाद भी इस स्टैंड का कायाकल्प न होना दुर्भाग्य है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बस स्टैंड शहर के बाहर होने के कारण हर दिन साफ-सफाई भी नहीं होती है। इससे सुबह से शाम तक वाहनों के आवाजाही से हर समय धूल का गुब्बार उठते रहता है, जिससे यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।