scriptनहीं रहे ब्लैक डायमंड… हंसाते-हंसाते रुला गए पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, CM साय ने जताया गहरा शोक | Black Diamond is no more... Padma Shri Surendra Dubey | Patrika News
रायपुर

नहीं रहे ब्लैक डायमंड… हंसाते-हंसाते रुला गए पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, CM साय ने जताया गहरा शोक

Surendra Dubey Passed away: छत्तीसगढ़िया की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले पुरोधा हास्य कवि और राष्ट्रीय मंच संचालकों के पितामह पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का गुरुवार को निधन हो गया।

रायपुरJun 27, 2025 / 08:18 am

Shradha Jaiswal

नहीं रहे ब्लैक डायमंड... हंसाते-हंसाते रुला गए पद्मश्री सुरेंद्र दुबे(photo-patrika)

नहीं रहे ब्लैक डायमंड… हंसाते-हंसाते रुला गए पद्मश्री सुरेंद्र दुबे(photo-patrika)

Surendra Dubey Passed away: छत्तीसगढ़ी भाषा ही नहीं, बल्कि हर छत्तीसगढ़िया की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले पुरोधा हास्य कवि और राष्ट्रीय मंच संचालकों के पितामह पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का गुरुवार को निधन हो गया। सबकी जुबां पर चढ़ी हुई पंक्ति ’छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ को विश्वभर के मंचों पर प्रचारित करने वाले डॉ. दुबे ने रायपुर के एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में अंतिम सांस ली।
यह भी पढ़ें

Tatapani festival: छत्तीसगढ़ी गायिकाओं गरिमा-स्वर्णा ने बांधा समां, कल भोजपुरी कलाकार अक्षरा सिंह मचाएंगीं धूम

Surendra Dubey Passed away: देशभर के शीर्ष कवियों ने जगत शोकाकुल

दरअसल, सीने में दर्द की शिकायत के बाद 24 जून की रात उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। 25 जून को उनकी एंजियोप्लास्टी कर दो स्टेंट डाले गए थे। पद्मश्री डॉ. दुबे के निधन की सूचना पर देश-दुनिया की हस्तियों ने दु:ख जताया।
राज्यपाल रमण डेका, सीएम विष्णुदेव साय, पूर्व सीएम भूपेश बघेल व मंत्रियों सहित डॉ. कुमार विश्वास, शैलेष लोढा और काव्य जगत ने इसे अपूरणीय क्षति बताई है। उन्हें 2008 में काका हाथरसी हास्य रत्न सम्मान और 2010 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

हास्य कवि, लेकिन संवेदनशील व्यक्तित्व

हिंदी साहित्य जगत के वरिष्ठ कवि मीर अली मीर और रामेश्वर वैष्णव ने संवेदनाएं व्यक्त करते कहा, डॉ. दुबे व्यवहारिक और संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी थे। उनका अचानक इस तरह चले जाना जैसे साहित्य का चमकता सितारा टूट गया हो। डॉ. दुबे की रचनाएं आम जनजीवन से जुड़ी होती थीं। उनके हास्य-व्यंग्य समाज का आईना होते थे। जिनमें लोगों के लिए संदेश छिपा होता था।

अंतिम काव्य पाठ 22 को रायपुर में

डॉ. दुबे ने आखिरी बार 22 जून को रायपुर के डीडीयू ऑडिटोरियम में हुए ‘काव्य कुंभ’ में सबको हंसाया था। वे खुद को ब्लैक डायमंड बताते थे, जो व्हाइट डायमंड से बहुत महंगा होता है। 8 अगस्त 1953 को बेमेतरा में जन्मे डॉ. दुबे देश के एकमात्र हास्य-व्यंग्य कवि थे जिन्होंने सबसे ज्यादा बार ऐतिहासिक लाल किले और 25 से अधिक देशों में काव्य पाठ किया।

Hindi News / Raipur / नहीं रहे ब्लैक डायमंड… हंसाते-हंसाते रुला गए पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, CM साय ने जताया गहरा शोक

ट्रेंडिंग वीडियो