दरअसल खुशबू ने पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित एनपीसी वर्ल्ड वाइड चैंपियनशीप में कांस्य पदक अपने नाम किया। खुशबू ने देशभर की महिला बॉडी बिल्डर को पीछे छोड़ते हुए यह मुकाम हासिल किया। यह तो खुशबू की सफलता का कहानी है पर उनका संघर्ष औरों के लिए प्रेरणादायी हैं। ऐसी बेटियां जो मुश्किल हालात में कमजोर पड़ जाती हैं उन्हें खुशबू की कहानी से प्रेरणा मिलेगी। दरअसल साल 2019 में खुशबू की मां का निधन कैंसर की लंबी बीमारी के बाद हो गया।
वे इसके बाद टूट गईं उन्हें इसका गहरा सदमा लगा। वे लंबे वक्त तक लोगों से कट गईं लेकिन फिर एक दिन उनके कारपेंटर पिता और भाई ने कहा कि तुहे कुछ करना होगा। इसके बाद खुशबू ने बॉडी बिल्डिंग का रुख किया। वे अपने कोच दिलीप यादव की निगरानी में तैयारी करने लगीं। नारायणपुर में ही सीमित संसाधनों के बीच उनकी तैयारी जारी रही, वहीं के एक जिम में वे बॉडी बिल्ड करती रहीं। इस बीच देशभर में आयोजित कई स्पर्धाओं में खुशबू ने पदक हासिल किए लेकिन पिछले दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशीप में उन्होंने सफलता का नया कीर्तिमान रच दिया।
आदिवासी बेटियों की बनीं आदर्श, वायरल खुशबू को इस वक्त सोशल मीडिया में देशभर के लोग देख रहे हैं। उनकी सफलता की खूब चर्चा हो रही है। वे इस वक्त वायरल बॉडी बिल्डर के रूप में चर्चित हो चुकी हैं। सोशल मीडिया पर उनकी जीत की ख़बर वायरल हो रही है। लोग उन्हें बस्तर की शेरनी, फिटनेस क्वीन और मसल्स वाली बिटिया कहकर समान दे रहे हैं। वे जिस तरह के हालात से निकलकर यहां तक पहुंची हैं वे बस्तर की आदिवासी बेटियों के लिए आदर्श हैं।
खुशब की यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। लकड़ी के औजार बनाने वाले एक बढ़ई की बेटी, जिसने पढ़ाई-लिखाई के साथ अपने सपनों को पंख देने की ठान ली। अपनी मां को कैंसर से खोने का ग़म हो या सीमित संसाधनों में खुद को तैयार करने की जद्दोजहद—खुशबू ने हर चुनौती को सीढ़ी बनाकर अपनी मंज़िल की ओर कदम बढ़ाए।