ED की राडार पर कैसे आए भूपेश के बेटे चैतन्य? अब हैं सलाखों के पीछे, जानें 3200 करोड़ के काली कमाई की कहानी
Chaitanya Baghel Arrest: 2019 से 2022 तक शराब को लेकर काली कमाई हुई। इसके बाद सत्ता बदलते ही मामले में परत दर परत कई खुलासे हुए। चलिए आपको बताते हैं कि अब तक क्या कुछ हुआ..
ED की राडार पर कैसे आए भूपेश के बेटे चैतन्य? ( Photo – Patrika Create )
Chaitanya Baghel Arrest: शराब घोटाले में ईडी के साथ ही ईओडब्ल्यू जांच कर रही है। साथ ही मामले में अब कार्रवाई तेज होते दिख रही है। भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद सियासी माहौल भी गरमाया हुआ है। ( CG Liquor Scam ) बता दें कि ईडी ने चैतन्य पर शराब घोटाला, कोल घोटाला, महादेव ऐप मामले में हवाला कारोबारियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप है।
Chaitanya Baghel Arrest: मिले थे चैतन्य के खिलाफ सबूत
बता दें कि ईडी की टीम ने 10 मार्च 2025 को रायपुर और भिलाई में दबिश दी थी। यह कार्रवाई पूर्व सीएम भूपेश बघेल, करोबारी पप्पू बंसल , शराब कारोबारी विजय अग्रवाल सहित अन्य ठिकानों पर हुई थी, इस दौरान ईडी अफसरों ने पेन ड्राइव, इलेक्ट्रानिक डिवाइस और पूछताछ में शक की सुई चैतन्य पर गई। वहीं 4 महीने के बाद भूपेश बघेल के घर दोबारा छापा मारा और चैतन्य की गिरफ्तारी हुई।
50 से ज्यादा सिंडीकेट
प्रदेश में हुए 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की ईडी के साथ ही ईओडब्ल्यू जांच कर रही है। इस खेल में तत्कालीन आबकारी मंत्री पूर्व आईएएस अधिकारी, आबकारी विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव, होटल कारोबारी, आबकारी विभाग के अधिकारी से लेकर शराब कारोबारी और इसके निर्माण से जुडी़ कंपनियां भी शामिल हैं। उन सभी के सिंडीकेट में 50 से ज्यादा लोगों ने मिलकर शासकीय दुकानों में अवैध रूप से शराब बिक्री कराने, बोतलों में लेबबलिंग कराई थी।
2019 से 2022 के बीच चला खेल
सभी की मिलीभगत से यह खेल 2019 से 2022 के बीच चला। दोनों ही जांच एजेंसियां जांच कर 29 से ज्यादा आरोपियों को जेल भेज चुकी हैं। करीब 30000 से अधिक पन्नों के 5-5 चालान विशेष न्यायालय में पेश किए जा चुके हैं। इस खेल में वसूली करने के लिए साजिश के तहत ए-बी और सी सिंडीकेट बनाया गया था।
2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई।
नकली होलोग्राम वाली शराब बिकवाई
डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए अरुणपति त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता से भी कान्टेक्ट किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतलें डिस्टलरी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई।
प्रदेश के 15 जिलों को चुना
दोनों को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी। इसके लिए प्रदेश के 15 जिलों को चुना गया। शराब खपाने का रिकॉर्ड सरकारी कागजों में ना चढ़ाने की नसीहत दुकान संचालकों को दी गई।
ऐसे बढ़ाए दाम
डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बिना शुल्क अदा किए दुकानों तक पहुंचाई गई। इसकी एमआरपी सिंडिकेट के सदस्यों ने शुरुआत में प्रति पेटी 2880 रुपए रखी थी। इनकी खपत शुरू हुई, तो सिंडिकेट के सदस्यों ने इसकी कीमत 3840 रुपए कर दी। डिस्टलरी मालिकों को शराब सप्लाई करने पर शुरुआत में प्रति पेटी 560 रुपए दिए जाते थे, जो बाद में बढ़कर 600 रुपए हो गए।
सप्लाई एरिया कम ज्यादा कर उगाही
देसी शराब को सीएसएमसीएल की दुकानों से बिक्री करने के लिए डिस्टलरीज के सप्लाई एरिया को सिंडिकेट ने 8 जोन में बांटा। इन 8 जोन में हर डिस्टलरी का जोन निर्धारित होता था। 2019 में सिंडिकेट की ओर से टेंडर में नए सप्लाई जोन का निर्धारण प्रतिवर्ष कमीशन के आधार पर किया जाने लगा। एपी त्रिपाठी ने सिंडिकेट को शराब बिक्री का जोन अनुसार विश्लेषण मुहैया कराया था, ताकि क्षेत्र को कम-ज्यादा करके पैसा वसूला जा सके।
ऐसे हुआ घोटाला
ईडी ने 2019 से 2022 के बीच हुए शराब घोटाले में 2160 करोड़ का घोटाला उजागर किया। इसके बाद ईडी ने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई। जांच दौरान अब यह घोटाला 3200 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। इसमें शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अरविंद सिंह सहित अन्य को शामिल किया गया।
नकली होलोग्राम बनाए
दुकानों में नकली होलोग्राम लगाकार शराब की बिक्री की गई। इसके लिए नोएडा के प्रिज्म होलोग्राम कंपनी और नवा राजधानी स्थित स्टेट जीएसटी दफ्तर के बेसमेट में छपाई की गई। बोतलों में लेबलिंग करने के बाद इसे दुकानों में बेचा गया।
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