प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुबोध सिंह ने सभी भारसाधक सचिवों को लिखे पत्र में लिखा है। जिसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री के ध्यान में यह बात आई है कि कई विभागों द्वारा मंत्रिपरिषद के लिए संक्षेपिकाएं आगामी मंत्रिपरिषद की बैठक तिथि निर्धारित होने के बाद तैयार कर भेजी जाती हैं, जिनसे अंतर्विभागीय परामर्श ठीक से नहीं हो पाता है।
इसके आंतरिक कुछ संक्षेपिकाओं में प्रस्ताव स्पष्ट नहीं होता है, कई संक्षेपिकाओं में वित्तीय भार के संबंध में जानकारी स्पष्ट नहीं होती है एवं विभिन्न संक्षेपिकाओं के प्रारूप में एकरूपता नहीं होती है। उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मंत्रिपरिषद के लिए संक्षेपिकाओं में एकरूपता के लिए प्रत्येक संक्षेपिका संलग्न प्रारूप के अनुसार बनाई जाए।
CG Cabinet: एक-एक प्रति सीएम सचिवालय और सीएस सचिवालय भेजे
पत्र में यह भी कहा गया है कि सामान्यत: मंत्रिपरिषद की
बैठक माह में दो से तीन बार होती है। वर्तमान में प्रशासकीय विभागों द्वारा मंत्रिपरिषद की संक्षेपिका की प्रति परामर्श के लिए संबंधित विभागों को भेजी जाती है, उक्त संक्षेपिका की एक प्रति मुख्यमंत्री सचिवालय एवं एक प्रति मुख्य सचिव कार्यालय को भी भेजी जाए। विभागों द्वारा अधिकतम 10 कार्य दिवसों पर परामर्श दे दिया जाए।
अति आवश्यक प्रकरणों में परामर्श कम अवधि में दिया जाए। अंतर्विभागीय परामर्श पर कोई विभाग असहमति व्यक्त करता है तो प्रशासकीय विभाग द्वारा असहमति के बिन्दुओं पर अपनी राय दी जाए। सामान्यत: बिना अन्तर्विभागीय परामर्श प्राप्त किए संक्षेपिका मंत्रिपरिषद की बैठक में शामिल करने के लिए न भेजी जाए।
सात से आठ पृष्ठ हो संक्षेपिका
प्रमुख सचिव ने पत्र में लिखा है कि मंत्रिपरिषद के लिए संक्षेपिका सामान्यत: 7-8 पृष्ठ से अधिक नहीं होनी चाहिए, अधिक पृष्ठ होने पर कुछ जानकारी अनुलग्नकों के साथ में दी जा सकती है। परिषद की बैठक के 1 दिन पूर्व मंत्रिपरिषद की बैठक के लिए लिए जाने वाले विषयों पर प्रशासकीय विभाग के प्रस्ताव अनुसार प्रेस ब्रीफ, प्रेस नोट, प्रेस विज्ञप्ति, सोशल मीडिया के लिए 2 से 4 मैसेज फोटोग्राफ सहित एवं प्रेस कांफ्रेंस के लिए 1 से 4 स्लाइड में बनाकर मुख्यमंत्री सचिवालय को ई-मेल द्वारा भेजी जाए।