नेहरू मेडिकल कॉलेज में हर माह वॉक इन होता है, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद नगरीय निकाय चुनावों के लिए आचार संहिता लग गई थी। इस कारण कॉलेज प्रबंधन लंबे समय बाद वॉक इन कर रहा है। कायदे से खाली पदों को भरने के लिए हर माह वॉक इन करना चाहिए। ताकि खाली पदों को भरा जा सके। पहली बार कार्डियो थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी विभाग के लिए 12 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती की जाएगी।
हालांकि पिछली बार कोई डॉक्टर नहीं आया। परफ्यूजिनिस्ट व फिजिशियन असिस्टेंट के 3-3 पदों पर भी भर्ती की जानी है, लेकिन इसमें पेंच आ गया है।
इन पदों पर होगी भर्ती
भर्ती नियम नहीं बनने के कारण चार माह में इसकी चयन सूची जारी नहीं की जा सकी है। सीटीवीएस के असिस्टेंट प्रोफेसरों में क्रिटिकल केयर के 3, मेडिसिन के 2, पीडियाट्रिक के 3, एनीस्थीसिया के 2 व कार्डियक एनीस्थीसिया के दो पदों पर भर्ती की जाएगी। वहीं, 3 सीनियर रेसीडेंट की भर्ती भी की जाएगी। दूसरे विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसरों के 51, सीनियर रेसीडेंट के 100 पदों पर भर्ती की जाएगी। सभी भर्ती संविदा पर की जाएगी।
कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसरों को एक लाख, एसोसिएट को 1.55 लाख व प्रोफेसरों को हर माह 1.90 लाख वेतन मिलता है। निजी मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों की तुलना में ये कम है। यही तर्क देकर ज्यादातर डॉक्टर ज्वाइन करने से बच रहे हैं।
शपथपत्र व एनपीए का विवाद अब कुछ शांत
नेहरू समेत
प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में शपथपत्र व एनपीए का विवाद अब कुछ शांत हुआ है। दिसंबर में यह चरम पर था। दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान योजना में पंजीकृत निजी अस्पतालों से ये शपथपत्र मांगा था कि उनके अस्पताल में कोई भी सरकारी डॉक्टर सेवाएं नहीं दे रहे हैं। ये आर्डर विभाग के लिए गले का फांस बन गया है।
दरअसल, इसी विवाद के बाद डीकेएस, आंबेडकर अस्पताल, राजनांदगांव, दुर्ग व रायगढ़ मेडिकल कॉलेजों में कई डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ी है। दूसरा विवाद एनपीए को लेकर है। शासन ने एनपीए लेने वाले डॉक्टरों के नाम सार्वजनिक कर दिया है। इस विवाद में भी नए डॉक्टर ज्वॉइन नहीं करना चाहते।