Sunday Guest Editor: क्रॉट के प्रति समर्पण है सफलता की कुंजी
दीपक कहते हैं,
फिल्म इंडस्ट्री ट्रस्ट का बिजनेस है। जब तक आपने कुछ लिखा नहीं है, तब तक कोई भरोसा नहीं करता। हर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर रोजाना कई कहानियां सुनते हैं, ऐसे में आपको खुद को साबित करना होता है। शुरुआत में सबसे जरूरी है लगातार लिखते रहना। लोगों से मिलते रहना और अपने विचार साझा करते रहना।
अगर आपके पास एक दमदार कहानी है, तो वह आपका रास्ता खोल सकती है। लेकिन जब आप नए हों, तब किसी को भरोसा नहीं होता कि आप कागज पर जो लिख रहे हैं, उसे पर्दे पर उतार भी पाएंगे या नहीं। इसलिए कई बार सीनियर राइटर्स को साथ जोड़ लिया जाता है, लेकिन अगर कहानी आपकी है, तो इंडस्ट्री आपको नोटिस जरूर करती है।
लेखन से बनी पहचान
दीपक ने स्पेशल ऑप्स, सिर्फ एक बंदा काफी है और मिशन रानीगंज जैसी चर्चित स्क्रिप्ट्स में स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स लिखे हैं। बंदा में मनोज वाजपेयी के कोर्टरूम डायलॉग्स हों या स्पेशल ऑप्स की इंटेंस स्क्रिप्ट्स इन सबके पीछे जो टीम शामिल हैं, उसमें दीपक की महत्वपूर्ण भूमिका है। हाल में ही ओटीटी पर स्पेशल ऑप्स 2.0 स्ट्रीम हुई है। इसकी राइटिंग टीम में दीपक हैं। वे कहते हैं कि हम सब एक टीम की तरह काम करते हैं कहानी, डायलॉग और स्क्रीनप्ले एक साथ गढ़ते हैं। आप किसी भी प्रोफेशन में हों इंजीनियरिंग, मेडिकल, स्टार्टअप या फिल्म। अगर आप पूरी ईमानदारी से काम करेंगे, तो चीजें व्यवस्थित होने लगती हैं। स्क्रिप्ट, स्क्रीनप्ले, डायलॉग राइटर (दीपक किंगरानी)