अगले साल 5 सरकारी व एक निजी कॉलेज खुलने की संभावना है। इससे कॉलेजों की संख्या बढ़कर 21 और सीटों की संख्या बढ़कर 2530 पहुंचने की संभावना है। नीट यूजी का रिजल्ट 14 जून को घोषित हो सकता है। रिजल्ट के साथ ही एनएमसी काउंसलिंग की तैयारी शुरू कर देगी।
सरकारी में फीस 40 हजार निजी में 7.41 से 8.01 लाख
प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एक साल की फीस महज 40 हजार है। वहीं निजी कॉलेजों में सालाना फीस 7.41 से 8.01 लाख रुपए है। एम्स में महज 1289 रुपए फीस है। निजी कॉलेजों में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य मद में भी फीस ली जा रही है। शिकायत फीस विनियामक आयोग तक पहुंची थी। हालांकि निजी कॉलेजों का कहना है कि देश में सबसे कम फीस प्रदेश में है। दूसरे राज्यों में ज्यादा फीस है। प्रदेश में ज्यादा कॉलेज खुलने का ये फायदा हुआ है कि अब छात्रों को दूसरे राज्यों की ओर ताकना नहीं पड़ता।
पत्रिका की पड़ताल में आए चौंकाने वाले तथ्य
‘पत्रिका’ ने जब देशभर व अपने प्रदेश में एमबीबीएस की सीटों व कॉलेजों की संख्या की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जो सीट उपलब्ध है, उसमें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 82 फीसदी स्टेट, 15 फीसदी ऑल इंडिया व 3 फीसदी सीटें सेंट्रल पुल के लिए रिजर्व है। देश में सबसे ज्यादा सेंट्रल पुल की सीटें प्रदेश दे रहा है, जो नियमानुसार सही नहीं है।
अधिकारी परंपरा का पालन कर रहे हैं और सीटें लुटा रहे हैं। जबकि दूसरे बड़े राज्य प्रदेश से कम सीटें दे रहे हैं। निजी कॉलेजों की बात करें तो 42.5-42.5 फीसदी सीटें स्टेट व मैनेजमेंट तथा 15 फीसदी सीटें एनआरआई कोटे के लिए आरक्षित होती हैं। प्रदेश में 10 सरकारी व 5 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें सरकारी में 1430 सीटें हैं।
2016 में थी महज 700, अब तीन गुना से ज्यादा
प्रदेश ने मेडिकल एजुकेशन में लंबी छलांग लगाई है। 9 साल पहले प्रदेश में जहां
एमबीबीएस की सीटें महज 700 थीं, अब बढ़कर 2130 हो गई हैं। यानी तीन गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है। 2016 में केवल 5 सरकारी व एक निजी मेडिकल कॉलेज चल रहा था। नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के अलावा बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव व जगदलपुर में ही सरकारी कॉलेज थे। दुर्ग में जो निजी कॉलेज चल रहा था, वह अब बंद हो चुका है और अधिग्रहण के बाद सरकारी हो गया है। सीटें बढ़ने का फायदा प्रदेश के उन छात्रों को मिल रहा है, जो नीट में कड़ी मेहनत करने के बाद डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं।