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रायपुर

आधार कार्ड का दुरुपयोग! फर्जी महंत बनकर 100 एकड़ मठ की जमीन हड़पी, कमिश्नर ने की रजिस्ट्री रद्द

CG Fraud News: रायपुर में पत्नी और 2 बच्चे वाले शख्स ने खुद को शहर के प्राचीन मठों में एक ’जैतूसाव’ का फर्जी महंत घोषित कर दिया।

रायपुरJun 20, 2025 / 09:05 am

Shradha Jaiswal

फर्जी महंत बनकर 100 एकड़ मठ की जमीन हड़पी(photo-unsplash)

फर्जी महंत बनकर 100 एकड़ मठ की जमीन हड़पी(photo-unsplash)

CG Fraud News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में पत्नी और 2 बच्चे वाले शख्स ने खुद को शहर के प्राचीन मठों में एक ’जैतूसाव’ का फर्जी महंत घोषित कर दिया। आधार कार्ड में सरनेम हटाकर नाम के आगे महंत राम और पीछे दास जुड़वा दिया। धरमपुरा में मठ की 75 एकड़ जमीन बेच दी। इसकी कीमत 300 करोड़ से ज्यादा है। इन जमीनों की रजिस्ट्री भारत माला घोटाले में जेल में बंद हरमीत खनूजा, शराब घोटाले में फंसे अनवर ढेबर और विकास शर्मा के नाम की गई थी।
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घोटाला फूटा, तो जैतूसाव मठ के ट्रस्टियों ने पड़ताल की। पता चला कि वॉलफोर्ट सिटी में रहने वाले आशीष तिवारी ने खुद को महंत राम आशीष दास बताकर मठ की 100 एकड़ से ज्यादा जमीन बेच दी है। ट्रस्ट ने आपत्ति दर्ज कराई। मामले में कमिश्नर महादेव कावरे ने हाल ही में 57 एकड़ की बिक्री रद्द करते हुए जमीन वापस मठ के नाम की है। इससे पहले 5 एकड़ जमीन मठ को लौटाई गई थी। अभी धरमपुरा में 13 एकड़ और जमीन बाकी है। दूसरी जगहों पर भी फर्जी सौदा हुआ।
इसमें अभनपुर के ओगेतरा में 30 एकड़ जमीन में भारत माला मुआवजा घोटाला हुआ। लैंड माफिया हरमीत खनूजा इसी मामले जेल में बंद है। इसके अलावा दतरेंगा में भी फर्जी महंत ने साढ़े 17 एकड़ जमीन बेच डाली है। इन सौदों में अब तक 50 करोड़ के लेन-देन की बात कही जा रही है।

जांच में निकला फर्जीवाड़ा

अनवर से ही 17 करोड़ लिए गए। फर्जी महंत ने एक मुस्लिम शब्बीर हुसैन का नाम समीर शुक्ला और उसके पिता का नाम जीपी शुक्ला बताकर उनका भी फर्जी आधार कार्ड बनवा लिया है। वे भी पैसे लेकर मंदिर की संपत्ति बेच रहे हैं।
गौरतलब है कि आशीष ने इसी साल जनवरी में खुद को महंत बताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस ली थी। इसमें उसने 1987 से 2007 के बीच मठ की जमीनें अवैध तरीके से बेचने के आरोप लगाए थे। हालांकि, अब वह खुद ही फंसता नजर आ रहा है।

तहसीलदार भी कम नहीं, कलेक्टर का नाम काटा

जैतूसाव मठ में 10 ट्रस्टी हैं। प्रबंधक खुद कलेक्टर हैं। इसके बावजूद तत्कालीन तहसीलदार अजय चंद्रवंशी ने दस्तावेजों से कलेक्टर का नाम मिटाकर जमीनें आशीष दास के नाम की। इस घोटाले में भी मास्टर माइंड हरमीत ही रहा, जिसने अफसरों की लॉबी बनाकर और भी जगहों पर भ्रष्टाचार किया। वैसे तत्कालीन तहसीलदार का रायपुर से तबादला ऐसे ही कारनामों के चलते हुए था। 100 से ज्यादा जमीनों को फ्लैट बताकर उनकी रजिस्ट्री रोक दी थी। अभी गरियाबंद जिले के राजिम में पोस्टिंग है।

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