नीट पीजी का पेपर इस साल दो शिफ्टों में करने पर विवाद था। फर्स्ट ईयर के छात्रों के देरी से आने के कारण कॉलेज व अस्पताल में सेकंड व फाइनल ईयर के छात्र ही रहेंगे। इससे वार्डों में मरीजों की देखभाल प्रभावित हो सकती है। चूंकि पीजी के छात्र कम रहेंगे इसलिए छात्रों पर काम का दबाव भी बढ जाएगा।
अगस्त में नीट पीजी होने से कोरोना काल में होने वाली परीक्षा जैसी हो गई है। पहले जनवरी में नीट पीजी होती थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद नेशनल एग्जाम बोर्ड ने एक पाली में परीक्षा कराने का निर्णय लिया है। इसी कारण परीक्षा केंद्रों की तैयारी में समय लगेगा।
19 विषयों में बराबर बराबर आते थे सवाल
विशेषज्ञों के अनुसार, एक शिफ्ट में पेपर होने पर 19 विषयों से बराबर-बराबर सवाल आते थे। दो शिफ्ट में पेपर होने के बाद एक शिफ्ट में किसी एक विषय से अधिक और दूसरी शिफ्ट में उसी विषय से कम सवाल पूछे जाने लगे। सबसे अधिक अंतर बॉयोकेमिस्ट्री, मेडिसिन और फिजियोलॉजी में देखने को मिल रहा था। 2024 में पहली शिफ्ट में एनाटॉमी से मात्र सात सवाल पूछे गए थे। दूसरी शिफ्ट में सवालों की संख्या बढ़कर 16 हुई है। जबकि साल 2021 से लेकर साल 2023 तक औसत सात से दस सवाल ही पूछे जाते रहे हैं।
प्रदेश में पीजी की 502 सीटें, इस बार बढ़ सकती हैं 50
प्रदेश में पीजी की कुल 502 सीटें हैं। इनमें स्टेट कोटे के लिए 319, आल इंडिया के लिए 157 व एनआरआई के लिए 26 सीटें रिजर्व हैं। इनमें 6 सरकारी कॉलेजों में कुल 316 जबकि तीन निजी कॉलेजों में 186 सीटें हैं। सरकारी में स्टेट की 156 व ऑल इंडिया की 155, वहीं निजी में 186 में 160 स्टेट व मैनेजमेंट कोटे की सीटों पर एडमिशन दिया जाएगा।
नए सत्र में सरकारी व निजी कॉलेजों में पीजी की 50 सीटें तक बढ़ सकती हैं। इससे छात्रों को फायदा होगा। मेडिकल एक्सपर्ट व सीनियर प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा व हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल के अनुसार अब यूजी के बाद पीजी तथा सुपर स्पेशलिटी करने का जमाना आ गया है। हालांकि पीजी करने के बाद करियर बनाने व प्रैक्टिस के लिहाज से अच्छा रहता है।