फुटबाल में रुचि रखते हैं पार्थ, बिना स्ट्रेस पढ़ाई की लाखे नगर निवासी पार्थ अहार ने ऑल इंडिया रैंक 862 हासिल की है। उन्हें 720 में से 609 अंक प्राप्त हुए, जो 99.96 पर्सेंटाइल के बराबर है। विषयवार पर्फॉर्मेंस की बात करें तो उन्होंने फिजिक्स में 99.91, केमिस्ट्री में 99.88 और बायोलॉजी (बॉटनी व जूलॉजी) में 99.72 पर्सेंटाइल हासिल किए हैं। पार्थ बताते हैं, जब मैं 10वीं कक्षा में था, तभी से डिसाइड कर लिया था कि मुझे डॉक्टर बनना है। पिता रितेश कुमार अहार और मां उर्वशी अहार दोनों ही सरकारी शिक्षक हैं। नीट की तैयारी को लेकर पार्थ ने कहा, मैंने बिना स्ट्रेस लिए पढ़ाई की। न तडक़े उठा और न ही रतजगा कर पढ़ाई की। सुबह 8 से 12 तक घर पर और दोपहर 2 से रात 8 बजे तक कोचिंग क्लास में पढ़ाई करता था। फुटबॉल खेलने का शौक रखने वाले पार्थ का मानना है कि पढ़ाई के साथ मूड फ्रेशकरने के लिए स्पोर्ट्स जरूरी है। उन्होंने 12वीं में 92.8 प्रतिशत अंक भी हासिल किए थे और उसी के साथ नीट की तैयारी भी जारी रखी।
कंसिस्टेंसी बनी सफलता की कुंजी महावीर नगर के ऋषभ अग्रवाल ने नीट में 601 अंक अर्जित कर ऑल इंडिया रैंक 1272 हासिल की है। उनके पिता नवीन अग्रवाल व्यवसायी हैं और मां पूनम अग्रवाल गृहिणी। ऋषभ ने बताया कि डॉक्टर बनने का विचार उन्हें 10वीं के बाद आया, जब उन्हें मैथ्स और बायोलॉजी में से एक को चुनना था। बायो सब्जेक्ट में रुचि थी, इसलिए उसी को चुना और उसी में भविष्य देखा। ऋषभ ने बताया, नीट जैसी परीक्षा में कंसिस्टेंसी सबसे ज्यादा जरूरी है। जब सिलेबस पूरा नहीं हुआ था तब मैं रोजाना 5 घंटे कोचिंग और 6 घंटे सेल्फ स्टडी करता था। बाद में रिवीजन के समय यह बढक़र रोज 12 घंटे हो गया। पढ़ाई का समय मैंने अपने हिसाब से निर्धारित किया । सुबह 8 बजे से पढ़ाई शुरू करता था। बीच-बीच में ब्रेक लेते और रात 10 बजे तक सो जाता था। सुबह 6 बजे उठता था लेकिन कभी देर रात या तडक़े पढऩे की आदत नहीं बनाई।
खेल और कराते से सीखी एकाग्रता: ऋषभ को बैडमिंटन, क्रिकेट और कराते का शौक है। वे सातवीं कक्षा तक कराते में ब्लैक बेल्ट रहे हैं और तीन बार इंटर स्कूल प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल, जबकि विशाखापट्टनम में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुके हैं। उनका मानना है कि खेल ने उन्हें एकाग्रता और अनुशासन सिखाया।
300 मॉक टेस्ट दिए: ऋषभ ने बताया कि नीट की तैयारी के दौरान उन्होंने करीब 300 मॉक टेस्ट दिए, जिनसे उन्हें अपनी कमजोरियों को पहचानने और उन्हें दूर करने में मदद मिली। साथ ही एनसीईआरटी की गहराई से स्टडी को उन्होंने सफलता का मुख्य आधार बताया। 12वीं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में उन्हें 94.2 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे। रैंक के आधार पर उन्हें रायपुर एम्स मिलने की संभावना है, हालांकि वे कहते हैं, फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा कि एडमिशन कहां होगा।
लाइफ सेविंग से बड़ा कोई काम नहीं रावतपुरा कॉलोनी निवासी ऋषभ पंडा ने नीट में 591 अंक प्राप्त करते हुए ऑल इंडिया रैंक 2066 हासिल की है। वे होली हार्ट्स स्कूल के छात्र हैं और 12वीं बोर्ड में 95.6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर चुके हैं। उनके पिता पिताम्बर पंडा एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंट मैनेजर हैं और मां बिस्मीता पंडा गृहिणी हैं। ऋषभ ने बताया, मैं सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करता था। शुरुआत में स्कूल जाने से पहले थोड़ा समय पढ़ाई के लिए निकालता था, जबकि मुख्य पढ़ाई कोचिंग में होती थी। धीरे-धीरे मैंने तैयारी की गति बढ़ाई और मॉक टेस्ट का सिलसिला शुरू किया।
मॉक टेस्ट और एनसीईआरटी रही तैयारी की रीढ़ शुरुआती दिनों में मैं हर हफ्ते मॉक टेस्ट देता था लेकिन परीक्षा नजदीक आने पर हर दो दिन में एक मॉक टेस्ट देने लगा। उनका मानना है कि यही नियमित अभ्यास उनकी तैयारी की मजबूत नींव बना। उन्होंने बताया, बायोलॉजी की तैयारी के लिए मैंने केवल एनसीईआरटी पर फोकस किया। केमिस्ट्री में भी ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक दोनों सेक्शन के लिए एनसीईआरटी ही सबसे विश्वसनीय रही। फिजिक्स में कॉन्सेप्ट क्लियर करना मेरी प्राथमिकता थी और पिछली परीक्षाओं के प्रश्नों को मैंने बार-बार हल किया।
इसलिए चुना मेडिकल क्षेत्र: ऋषभ ने 11वीं कक्षा से ही डॉक्टर बनने का निर्णय ले लिया था। वे कहते हैं, मुझे हमेशा लगता था कि यदि आप किसी की जान बचा रहे हैं तो इससे बड़ा सामाजिक योगदान कोई और नहीं हो सकता। यही सोच मुझे मेडिकल फील्ड की ओर ले आई।
परिवार की तीसरी डॉक्टर बनेंगी आशना आशना गुप्ता ने ऑल इंडिया रैंक 2625 हासिल कर मेडिकल की राह में एक अहम मुकाम पार कर लिया है। आशना का मेडिकल क्षेत्र से पारिवारिक नाता रहा है। वे बताती हैं, मैं अपने परिवार की तीसरी डॉक्टर बनूंगी। पैरेंट्स डॉ. अनिल कुमार गुप्ता डॉ. शुभ्रा अग्रवाल गुप्ता का मार्गदर्शन उन्हें लगातार मिलता रहा। वे बताती हैं कि कोविड के दौरान डॉक्टरों के समर्पण और महत्व को देखकर उन्होंने भी डॉक्टर बनने का निर्णय लिया था। तभी से उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया और 11वीं कक्षा से कोचिंग शुरू कर दी। आशना का मानना है कि कई छात्र नीट की तैयारी के चक्कर में स्कूल की पढ़ाई को नजरअंदाज कर देते हैं, जो कि एक बड़ी गलती है। मैंने स्कूल के सिलेबस को गंभीरता से लिया और दोनों स्तरों पर फोकस रखा, जिससे मुझे बोर्ड और नीट दोनों में फायदा हुआ। एक समय ऐसा भी आया जब मॉक टेस्ट में कम अंक आने लगे थे, जिससे मानसिक दबाव बढऩे लगा। लेकिन उस मुश्किल दौर में उनके माता-पिता ने पूरा समर्थन दिया। आशना ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए योग और पेंटिंग को अपनाया, जिससे उन्हें मानसिक शांति मिली।
आशना का मैसेज फॉर एस्पिरेंट्स: कॉन्फिडेंस जरूरी है। जब भी मन निराश हो, तो अपने मेंटर या पेरेंट्स से जरूर बात करें। यह आपको नए नजरिए और हौसले के साथ आगे बढऩे की ताकत देता है।
एलन रायपुर से 7 स्टूडेंट्स टॉप 5000 में
एलन रायपुर सेंटर हेड कुणाल सिंह ने बताया कि नीट-यूजी 2025 में हमारे स्टूडेंट्स ने देश में टॉप रैंक्स के साथ-साथ बड़ी संख्या में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन सुनिश्चित किया है। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार एलन रायपुर के ऋषभ अग्रवाल ने आल इंडिया रैंक 1272, ऋषभ पांडा 2066, आशना गुप्ता 2625 रैंक प्राप्त की है। टॉप 3000 में तीन स्टूडेंट्स, टॉप 5000 सात स्टूडेंट्स और टॉप 15000 में 18 स्टूडेंट्स ने स्थान प्राप्त किया है। दुर्लभ शर्मा की 3070, अनिकेत साहू 3156, यशस्विनी श्रीवास्तव 3472, कृष्णा सोनी 4511, लक्ष्य चंद्राकर 5311, साहिल अली 6233, वेदांता गोयल 6605, पाण्डव कुमार रखरीआ-8491, संचित सोनी- 8502 और स्नेहा गंजइर – 9963 आल इंडिया रैंक हांसिल की। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के सीईओ नितिन कुकरेजा ने बताया कि परिणामों में एलन के क्लासरूम कोर्स के स्टूडेंट मृणाल झा ने आल इंडिया रैंक 4 प्राप्त की है। इसके साथ ही टॉप 10 में चार स्टूडेंट्स ने स्थान प्राप्त किया है, इसमें केशव मित्तल ने आल इंडिया रैंक 7, भव्य चिराग झा ने आल इंडिया रैंक 8 प्राप्त की। आरव अग्रवाल ने आल इंडिया रैंक 10 प्राप्त की है जो कि दूरस्थ शिक्षा से एलन से जुड़े हैं।