ये छात्र राजधानी के अलग-अलग स्कूलों से पढ़े और मेहनत व संतुलित रणनीति के बलबूते राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में सफल हुए हैं। छात्रों ने सिर्फ मॉक टेस्ट, एनसीईआरटी और स्मार्ट स्टडी पर भरोसा किया, बल्कि स्ट्रेस दूर करने के लिए योग, खेल और आर्ट जैसे रचनात्मक साधनों को भी अपनाया। माता-पिता और मेंटर्स का सहयोग भी इनके सफर मिला।
कंसिस्टेंसी बनी सफलता की कुंजी
महावीर नगर के ऋषभ अग्रवाल ने नीट में 601 अंक अर्जित कर ऑल इंडिया रैंक 1272 हासिल की है। उनके पिता नवीन अग्रवाल व्यवसायी हैं और मां पूनम अग्रवाल गृहिणी। ऋषभ ने बताया कि दसवीं में जब उन्हें मैथ्स और बायोलॉजी में से एक को चुनना था, तब डॉक्टर बनने का विचार आया। बायो में रुचि थी, इसलिए उसी को चुना। ऋषभ ने बताया, नीट जैसी परीक्षा में कंसिस्टेंसी सबसे ज्यादा जरूरी है। जब सिलेबस पूरा नहीं हुआ था तब रोजाना 5 घंटे कोचिंग और 6 घंटे सेल्फ स्टडी करता था। बाद में रिवीजन के समय यह बढक़र रोज 12 घंटे हो गया। पढ़ाई का समय मैंने अपने हिसाब से निर्धारित किया। सुबह 8 बजे से पढ़ाई शुरू करता था। बीच-बीच में ब्रेक लेता और रात 10 बजे तक सो जाता था। सुबह 6 बजे उठता था, लेकिन कभी देर रात या तडक़े पढऩे की आदत नहीं बनाई।
खेल और कराते से सीखी एकाग्रता
ऋषभ को बैडमिंटन, क्रिकेट और कराते का शौक है। वे सातवीं कक्षा तक कराते में ब्लैक बेल्ट रहे और तीन बार इंटर स्कूल प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल। जबकि विशाखापट्टनम में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुके हैं। उनका मानना है कि खेल ने उन्हें एकाग्रता और अनुशासन सिखाया।
300 मॉक टेस्ट दिए
ऋषभ ने बताया कि
नीट की तैयारी के दौरान उन्होंने करीब 300 मॉक टेस्ट दिए, जिनसे उन्हें अपनी कमजोरियों को पहचानने और दूर करने में मदद मिली। साथ ही एनसीईआरटी की गहराई से स्टडी को उन्होंने सफलता का आधार बताया। 12वीं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में उन्हें 94.2 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे। रैंक के आधार पर उन्हें रायपुर एम्स मिलने की संभावना है, हालांकि वे कहते हैं, फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा कि एडमिशन कहां होगा।
मॉक टेस्ट और एनसीईआरटी रही तैयारी की रीढ़
रावतपुरा कॉलोनी निवासी ऋषभ पंडा ने नीट में 591 अंक प्राप्त करते हुए ऑल इंडिया रैंक 2066 हासिल की है। वे होली हार्ट्स स्कूल के छात्र हैं और 12वीं बोर्ड में 95.6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर चुके हैं। उनके पिता पिताम्बर पंडा प्राइवेट कंपनी में अकाउंट मैनेजर हैं और मां बिस्मीता पंडा गृहिणी हैं। ऋषभ ने बताया, मैं सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करता था। शुरुआत में स्कूल जाने से पहले थोड़ा समय पढ़ाई के लिए निकालता था, जबकि मुख्य पढ़ाई कोचिंग में होती थी। धीरे-धीरे मॉक टेस्ट का सिलसिला शुरू किया। शुरुआत में हर हफ्ते मॉक टेस्ट देता था, लेकिन परीक्षा नजदीक आने पर हर दो दिन में एक मॉक टेस्ट देने लगा। यही नियमित अभ्यास उनकी तैयारी की मजबूत नींव बना। उन्होंने बताया, बायोलॉजी की तैयारी के लिए मैंने केवल एनसीईआरटी पर फोकस किया। केमिस्ट्री में भी ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक दोनों सेक्शन के लिए एनसीईआरटी ही विश्वसनीय रही। फिजिक्स में कॉन्सेप्ट क्लियर करना मेरी प्राथमिकता थी और पिछली परीक्षाओं के प्रश्नों को मैंने बार-बार हल किया।
इसलिए चुना मेडिकल क्षेत्र
ऋषभ ने 11वीं से ही डॉक्टर बनने का निर्णय ले लिया था। वे कहते हैं, मुझे हमेशा लगता था कि यदि आप किसी की जान बचा रहे हैं तो इससे बड़ा सामाजिक योगदान कोई और नहीं हो सकता। यही सोच मुझे मेडिकल फील्ड की ओर ले आई।
फुटबाल में भी रुचि रखते हैं पार्थ
लाखे नगर निवासी पार्थ अहार ने ऑल इंडिया रैंक 862 हासिल की है। उन्हें 720 में से 609 अंक प्राप्त हुए, जो 99.96 पर्सेंटाइल के बराबर हैं। उन्होंने फिजिक्स में 99.91, केमिस्ट्री में 99.88 और बायोलॉजी (बॉटनी व जूलॉजी) में 99.72 पर्सेंटाइल हासिल किए हैं। पार्थ बताते हैं, जब मैं 10वीं कक्षा में था, तभी तय कर लिया था कि डॉक्टर बनना है। पिता रितेश कुमार अहार और मां उर्वशी अहार दोनों ही सरकारी शिक्षक हैं। नीट की तैयारी को लेकर पार्थ ने कहा, मैंने बिना स्ट्रेस लिए पढ़ाई की। न तडक़े उठा और न ही रतजगा किया। सुबह 8 से 12 तक घर और दोपहर 2 से रात 8 बजे तक कोचिंग क्लास में पढ़ाई करता था। फुटबॉल खेलने के शौकीन पार्थ का मानना है कि पढ़ाई के साथ मूड फ्रेश करने के लिए स्पोर्ट्स जरूरी है। उन्होंने 12वीं में 92.8 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और उसी के साथ नीट की तैयारी भी जारी रखी।