पहले जब लोगों से सुझाव मांगे, उस समय इस पर किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया गया। यह विसंगति अभी भी चली आ रही है। हाल ही में 21 मार्च को एक बार फिर क्षेत्र के लोगों से सुझाव मांगे गए। जिन्हें वरिष्ठ कार्यालय भी भेज दिया गया है, लेकिन इस बार भी कहीं ऐसा ना हो कि नगरीय क्षेत्र से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र की दरें देखने को मिले।
गाइडलाइन में विसंगतियां क्यों
इस बार के संशोधन में देखा गया है कि कुछ छोटे कस्बों में व्यावसायिक भूमि की दरें शहरों से अधिक हैं। उदाहरण के लिए, पचोर के कई व्यावसायिक क्षेत्रों के रेट करेड़ी जैसे छोटे गांवों से कम हैं। वहीं, खुजनेर बायपास रोड की कीमत भी कम है, जो बाजार दरों से काफी कम मानी जा रही है। ये भी पढ़ें:
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राजस्व नुकसान से बचाव – जिन इलाकों में व्यापारिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं, वहां दरें यथार्थवादी रखी जाएं।
छोटे कस्बों और शहरों के बीच संतुलन करेड़ी और पचोर जैसी विसंगतियों को दूर किया जाए ताकि निवेश को बढ़ावा मिल सके।
पुनर्विचार से हो सकते हैं बदलाव
इस तरह की भी संगतियों को दूर करने के लिए प्रशासन पुनर्विचार कर सकता है और शासन को इस संबंध में लिखा जा सकता है, करेड़ी से जुड़े हुए कुछ किसानों ने इसमें संशोधन की मांग की है,उनका कहना है कि मंगवाए गए सुझाव के बारे में उन्हें जानकारी ही नहीं थी जबकि अभी करेड़ी शहरी क्षेत्र से काफी दूर है, उसके बावजूद यहां की दरें शहरी क्षेत्र से भी ज्यादा हैं।
संशोधन संभव नहीं
हमें सभी से सुझाव चाहिए थे, उसकी रिपोर्ट भी वरिष्ठ कार्यालय भेजी जा चुकी है। अब इसमें संशोधन संभव नहीं है। – क्षिप्रा सेन, जिला पंजीयक राजगढ़