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मैं उसे भुला नहीं पा रही हूं क्या करूं.. लड़की के सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने बताया भोग, प्यार, वासना और व्यभिचार का अंतर

Satsang Aaj Ka Ekantik Vartalap : चंचल मन को काबू करना आसान नहीं, इसके लिए अंकुश की जरूरत है पर ये मिले कहां और आसानी से इसका प्रयोग कैसे करें। इनके जवाब आपको मिल सकते हैं वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के प्रवचन में, और वो भी सहज तरीके से आपकी समझ में आने वाला। जब एकांतिक वार्तालाप में.. लड़की का सवाल मैं उसे भुला नहीं पा रही हूं.. सामने आया तो जानिए क्या मिला जवाब (premanand ji maharaj ke pravachan)

भारतMay 27, 2025 / 06:10 pm

Pravin Pandey

premanand ji maharaj ke anmol vachan

premanand ji maharaj ke pravachan anmol vachan: प्रेमानंद महाराज से जानिए प्यार, भोग, वासना और व्यभिचार में अंतर (Photo Credit: Patrika Design and bhaktimarg twitter)

Premanand Ji Maharaj Ke Pravachan: श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम मन से दुखी लोगों के उपचार की स्थली है, यहां बेझिझक आध्यात्मिक सवालों का उत्तर भक्तों को मिल जाता है तो उनके भ्रमों से भी उनका सामना प्रवचन (Anmol Vachan) में आसानी से हो जाता है। वो भी गूढ़ रहस्य उद्घाटन से ही नहीं, आपके बीच के प्रसंगों से सहज ही।

ऐसे ही प्यार के भ्रम में पड़ी लड़की को प्रेमानंद महाराज की झिड़की मिली, लेकिन पीड़ा और प्रायश्चित से ही खाली हुए मन के अंधियारे कोने में प्रकाश को प्रवेश मिल सकता है। आइये जानते हैं लड़की का पूरा सवाल और प्रेमानंद महाराज का जवाब, झिड़की और आसान भाषा में भोग, प्यार, वासना और व्यभिचार का अंतर ..


लड़की का सवाल


कुछ माह पहले मेरी एक सहपाठी से मित्रता हो गई और मैं उसमें आसक्त हो गई। एक दूसरे से जीवन साथी जैसे संबंध की भी कोशिश हुई। हालांकि वो संबंध ज्यादा दिन नहीं टिका और कुछ परिस्थितियां ऐसी आईं कि सब खत्म हो गया। लेकिन मेरी उसमें आसक्ति इतनी ज्यादा हो गई है कि मैं उसे भूल नहीं पा रही हूं।


प्रेमानंद महाराज की झिड़की


वासनाओं के खेल खेलोगे, मन मलिन होगा तो भूल क्या पाओगे। धिक्कार है ऐसे जीवन को जो मनुष्य जीवन मिलने पर भगवान के लिए मन में बात नहीं आई कि मैं भगवान को भूल नहीं पाती हूं।


मनुष्य देह से आसक्ति नरक का रास्ता


इस मनुष्य जीवन का लाभ लेना चाहिए, नाशवान शरीरों में आसक्ति कर के इंद्रियजन्य सुख (भोग) का अनुभव करके, मैं उसको भूल नहीं पाती कहने वाली बुद्धि को धिक्कार है ..इससे जीवन पतित और भ्रष्ट भ्रष्ट होता है। मनुष्य में आसक्ति, नरक जाने का रास्ता तैयार करता है।


पल में किसी से मन हट जाए ये प्यार नहीं


जीवन साथी चुनना है तो एक बार चुन लिया और आजीवन निर्वाह किया तब तो जीवन साथी है, प्यार है। पल में किसी से मन हट जाए और आज इससे, कल उससे, परसों किसी और से आसक्ति ये प्यार नहीं है। ये देह को लेकर वासना है।
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खुद पर नियंत्रण न होने से बढ़ रहा व्यभिचार


आजकल कहा जाता है कि ब्रेकअप, बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड फिर ब्रेकअप, फिर बॉयफ्रेंड.., ये क्या है। इसकी वजह है किसी का शासन न होना, न खुद पर खुद का शासन, न माता-पिता, न समाज और न ही शास्त्र, न भगवान का शासन, इसलिए ये मनमाना आचरण होता है।

एक बार पाणिग्रहण किया तो आजीवन निर्वाह करना चाहिए। लेकिन आजकल लोगों का न खुद पर शासन है, और न अपने धर्म का ज्ञान है। इसकी वजह से चंचल मन भटकता है और शरीर बार-बार अपवित्र होता है ।

वहीं प्यार के नाम पर मन शरीर में लगा हुआ है, जिससे मन भी अपवित्र होता रहता है, क्योंकि मन से तो रिश्ता बंधा ही नहीं। किसी से मन जुड़ गया तो छोटी सी बात पर टूटेगा कैसे और दूसरे पर कैसे जाएगा। यह वासना थी। इसी वजह से पाप का खजाना बन रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप नरक जाने और नरक भोगने का रास्ता तैयार होता है। इससे दुर्लभ मनुष्य देह पाने का प्राणी का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है।


ये है व्यभिचार का लक्षण


प्रेमानंद महाराज ने लड़की को कर्तव्य ज्ञान भी कराया। कहा कि भगवान का नाम जप करो, संयम से रहो। स्त्री शरीर पाया है और एक बार किसी का वरण कर लिया तो निर्वाह करो यदि छूट गया तो संयम से रहो, ब्रह्णचर्य का पालन करो। किसी और से विवाह के बाद फिर किसी और की ओर मन जा रहा है तो यह व्यभिचार की प्रवृत्ति है। यह नरक का रास्ता है।
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि नरक के 3 द्वार हैं, काम, क्रोध और लोभ, इसमें जो फंसे हैं, उन्हें नरक जाना होगा।
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ऐसे व्यक्ति से घृणा करनी चाहिए

जिस व्यक्ति को शरीर समर्पित किया, वो तुम्हारा नहीं हुआ तो वो भूलने योग्य नहीं घृणा करने योग्य है। नाम जप करो, सही रास्ते से चलो वर्ना मनुष्य जीवन किसी काम का नहीं रह जाएगा।


प्यार और दोस्ती में कोई बुराई नहीं, लेकिन ये है क्या जानना चाहिए

हम कहते हैं कि दोस्ती करना, प्यार करना पाप नहीं, किसी से भी दोस्ती करो मगर दोस्ती, प्यार के नाम पर मनमाना आचरण गंदगी है, यह करना पाप है, व्यभिचार पाप है। लिवइन रिलेशन आदि से व्यभिचार प्रवृत्ति बढ़ी है, इससे डाइवोर्स का चलन भी बढ़ा है।

अगर दोस्ती पक्की है तो आजीवन निर्वाह करो, मां बाप का आशीर्वाद लो, भगवान का पूजन वंदन करो, ब्याह करो, एक साथ रहो। ये क्या है पहले एक, फिर दूसरा और तीसरा ..


एक पुरुष का वरण करो, आजीवन निर्वाह करो, पहले ऐसा ही होता था। । धर्म से चलो, व्यभिचार से दूर रहो। क्योंकि मनमाने आचरण से जीवन खोखला हो जाता है। नाम जप करो, सावधान रहो, भगवान का आश्रय लेकर धर्म पूर्वक जीवन व्यतीत करो और भगवान की दिव्यता प्राप्त करो।

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