पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में लगा राजा नाभिराय दरबार
आचार्य निर्भय सागर ने कहा कि मानव जीवन को सफल बनाने के लिए परिश्रम और पुण्य कार्य करना जरूरी है।


तपोवन जैन तीर्थ बहेरिया पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को गर्भ कल्याणक उत्तरार्ध की क्रियाएं हुई। भगवान के गर्भ में आने की सूचना मिलते ही पंडाल में खुशियों का माहौल छा गया। इंद्रसभा व राज्यसभा दिखाई गई। 56 कुमारियों के नृत्य के बाद मरुदेवी माता को सोलह शुभ मंगलकारी स्वप्न देखे। सुबह जागने पर मरुदेवी माता ने महाराज नाभिराय से अपने स्वप्नों की चर्चा की और उसका फल जानने की इच्छा प्रकट की। आचार्य निर्भय सागर ने कहा कि मानव जीवन को सफल बनाने के लिए परिश्रम और पुण्य कार्य करना जरूरी है। तीर्थंकरों का जीवन सफल होता है और वह दूसरों का जीवन भी सफल करते हैं। जीवन की यात्रा गर्भ से शुरु होती है, गर्भ के संस्कार जीवनभर काम आते है। आचार्य ने कहा कि सेवा धर्म है, कर्तव्य है, भक्ति है, पुण्य कर्म है। सेवा से धर्म, देश, संस्कृति और संस्कारों की रक्षा होती है। आचार्य के पूर्व मुनि गुरुदत्त सागर, मुनि पद्मदत्त सागर एवं मुनि इन्द्रदत्त सागर ने प्रेरक उपदेश दिया। कार्यक्रम में ललितपुर, अलीगढ़, आगरा, नोएडा, दिल्ली, भोपाल, इन्द्रौर, कटनी, दमोह, एटा, कानपुर, नागपुर व अमेरिका से आकर भक्तों ने आशीर्वाद लिया। वात्सल्य भोज विमल कुमार, कीर्ति टडैया, सुमत जैन व राजेश्वरी जैन नागपुर वालों के सौजन्य से करवाया गया।
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