हर वर्ष स्कूल से मिलती है जानकारी
तिलकगंज निवासी रेखा श्रीवास्तव ने बताया कि वो रविशंकर स्कूल से वर्ष 2021 में सेवानिवृत्त हुई। कोरोना के समय कई बेटियों की आर्थिक तंगहाली की वजह से पढ़ाई छूट गई। आर्थिक तंगी की वजह से बेटियों की पढ़ाई न रुके इसलिए मैं गरीब बेटियों को पढ़ाने हर वर्ष उनकी स्कूल की फीस जमा कर देती हूं। उन्होंने बताया कि वे स्कूल से जानकारी मंगाती हैं कि किन बेटियों की फीस जमा नहीं हुई है।
चार छात्राओं की देती हूं फीस
रिटायर्ड व्याख्याता रीता सरखर ने बताया कि वे प्रतिवर्ष जरूरतमंद दो से तीन छात्राओं की फीस देती हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा की महत्व उन्होंने पूरी जिंदगी बच्चों को बताया है। आर्थिक तंगहाली की वजह से कोई बच्ची शिक्षा से वंचित न रहे इसलिए वे बेटियों की फीस जमा करती हैं।
प्रतिभावान विद्यार्थियों को करते हैं प्रोत्साहित
सराफा बाजार निवासी समाजसेवी अशोक सोनी विक्रम टंच भी 5 वर्ष से इमानुएल स्कूल के गरीब बच्चों की फीस जमा करते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के बाद 3 वर्षों से बच्चों की फीस जमा कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद पुरस्कार भी देते हैं, ताकि बच्चे प्रोत्साहित होकर पढ़ाई अच्छे से करें।