लकड़ी बीनने निकला था पुरुषोत्तम
घटना सहारनपुर के कस्बा रामपुर मनिहारान क्षेत्र के गांव इस्लामनगर की है। इसी गांव के रहने वाले मदन कश्यप का 9 वर्षीय बेटा पुरषोत्तम लकड़ी बीनने के लिए घर से निकला था। अभी यह जंगल में लकड़ी बीन ही रहा था कि यहां खूंखार कुत्तों के एक झुंड ने इस पर हमला बोल दिया। जान बचाने के लिए पुरुषोत्तम भागने लगा कुत्तों ने उसे गिरा लिया और फिर इस पर टूट पड़े। कुत्तों ने इसके मांस को नोचना शुरू कर दिया। पुरुषोत्तम झटपटाता रहा, चीखता रहा लेकिन उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था। करीब दस मिनट तक कुत्ते इस पर हमला करते रहे। इसके बाद आस-पास के कुछ लोग चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। कुत्ते बच्चों का आधा सिर खा चुके थे और अपने दांत बच्चे की खोपड़ी में भी गाड़ चुके थे।
क्या होता है लकड़ी बीनना
गांव देहात में घर का खाना बनाने के लिए आज भी लोग जंगल जाते हैं और वहां से सूखी लकड़ी इकट्ठा करके या फिर पेड़ की शाखाओं से तोड़कर लाते हैं। इन लकड़ियों को घर के चूल्हे में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसी को लकड़ी बीनना कहते हैं। 9 वर्षीय पुरुषोत्तम भी घर के चूल्हे के लिए लकड़ी बीनने निकला था। इसी दौरान उस पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया। सहारनपुर में कुत्तों के हमले की ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी यहां खूंखार कुत्ते इसी तरह से बच्चों पर हमला कर चुके हैं।