हम बात कर रहे हैं सहारनपुर की रहने वाली महिला बबीता की। बबीता एक सामान्य परिवार से थी। उनकी शादी करीब तीन दशक पहले सहारनपुर के कस्बा रामपुर मनिहारान क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले शिक्षक के साथ हुई थी। आप सोच रहे होंगे कि इतने दिन बाद आज हम इस महिला की बात क्यों कर रहे हैं ? तो यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आपका तर्क बिल्कुल उचित है। इतने दिन बाद इस महिला का जिक्र इसलिए आया है क्योंकि अब ये महिला इस दुनिया में नहीं रही। बबीता के जीवन में जो कुछ भी घटा वह असहनीय था। बावजूद इसके उन्होंने अपने जीवन के इस दर्द को ज्यादा लोगों से साझा नहीं किया। यही कारण रहा कि अब उनकी मृत्यु हो जाने के करीब एक वर्ष बात सामने आई है कि उन्होंने 28 वर्षों तक अपना उपचार कराया। इस अवधि में उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली से लेकर अलग-अलग शहरों के एक्सपर्ट डॉक्टरों से सलाह और दवाईयां ली लेकिन वह मां नहीं बन सकी।
सहारनपुर के कोर्ट रोड पर प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक ने बताया कि जब वह महिला उनके पास आई तो काफी निराश हो चुकी थी। इसकी वजह ये थी कि उनके आठ गर्भ खराब हो चुके थे और सभी गर्भ सातवें महीने में ही खराब होते थे। ऐसे में उस महिला की मानसिक स्थिति को सहज ही महसूस किया जा सकता है। डॉक्टर त्यागी बताते हैं कि जीवन में इतनी घटनाएं घट जाने के बाद भी उस महिला को यकीन था कि वह मां बनेंगी। इसी उम्मीद के साथ उन्होंने अपना उपचार कराया। डॉक्टर बताते हैं कि जब महिला उम्मीद के साथ पहुंची तो इस केस को समझने के लिए काफी पढ़ना पड़ा। इसके बाद जो दवाइयां दी गई उनके शत प्रतिशत परिणाम के बारे में पक्का यकीन नहीं था लेकिन जब महिला ने एक स्वस्थ बच्चे के जन्म दिया तो उनकी भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसे इत्तेफाक कहिए या चमत्कार या डॉक्टर का इलाज 28 वर्षों के लंबे इलाज के बाद उन्होंने 9वीं बार बच्चे को जन्म दिया और मां बनी।