मस्जिद को सील करने की भी मांग
सिमरन गुप्ता ने मस्जिद को सील कर उसे जिलाधिकारी की निगरानी में देने की भी अपील की है। यह याचिका चंदौसी की अदालत में दाखिल की गई है, जहां मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई 2025 को तय की गई है। याचिका में कहा गया है कि जब तक स्थल का पुरातात्विक सर्वे और कानूनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक सामूहिक नमाज पर रोक लगाई जाए।
दोनों पक्षों पर एक जैसे नियम लागू हों
सिमरन गुप्ता के वकील बाबू लाल सक्सेना के अनुसार, उनका तर्क है कि चूंकि स्थल को विवादित माना गया है, इसलिए जिस प्रकार हिंदू पक्ष को पूजा करने से रोका गया है, उसी तरह मुस्लिम पक्ष को भी नमाज अदा करने से रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय आने तक दोनों समुदायों की धार्मिक गतिविधियों पर निषेध लागू किया जाना चाहिए।
योगी सरकार को अदालत से राहत
गौरतलब है कि शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच भूमि विवाद पहले से ही न्यायालय में विचाराधीन है। ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे आदेश को हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया है, जिससे राज्य सरकार को कानूनी राहत मिली है।
मंदिर होने का दावा, सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
19 नवंबर 2023 को आठ हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि शाही जामा मस्जिद वास्तव में हरिहर मंदिर है। इसी आधार पर अदालत ने दो बार स्थल का सर्वे करवाया, पहला सर्वे 19 नवंबर और दूसरा 24 नवंबर को हुआ। दूसरे सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए। इसके बाद समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और मस्जिद समिति के अध्यक्ष जफर अली समेत 2750 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ। अब तक 96 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है।
फैसले पर टिकी निगाहें
अब सभी की निगाहें 21 जुलाई को होने वाली अदालत की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय किया जाएगा कि क्या मस्जिद में नमाज पर अस्थायी रोक लगाई जाएगी या नहीं।