दस साल में सनातन संस्कृत आलोकित हुई
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सनातन संस्कृति का जो प्रादुर्भाव हुआ है वह दस साल पहले लोगों की कल्पना में भी नहीं था। आज राम लाल अयोध्या में विराजमान हैं, भव्य काशी विश्वनाथ नाथ, मां विंध्यवासिनी धाम का भव्य धाम है, प्रयागराज का महाकुंभ आज पूरे विश्व में चर्चा पा रहा है। वास्तव में आज कौन ऐसा भारतीय होगा जिसे इस पर गर्व न हो।
अयोध्या, काशी, मां विंध्यवासिनी धाम विश्व फलक पर हुए स्थापित
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने हिंदू तीर्थस्थलों पर हमेशा हाशिए पर रखा, आम हिंदू भी सोच सकता है कि 2017 के पहले अयोध्या, काशी, मां विंध्यवासिनी धाम में कैसे व्यवस्था थी। वहीं आज ये सभी हिंदू तीर्थ भव्यता प्रदान कर रहे हैं। अयोध्या, काशी, विंध्यवासिनी धाम की संकरी गलियां अब कॉरिडोर का रूप ले चुकी हैं। इन तीर्थस्थलों की भव्यता ऐसी हो गई है कि विदेशी भी बम, बम कर रहे हैं। महाकुंभ अगर 2017 के पहले हुआ होता तो उस समय की परिस्थितियों को देख आसानी से अंदाज लगाया जा सकता की क्या व्यवस्था हुई होती। भगवान प्रयागराज का और संगम का आशीर्वाद लेकर लोग अपने घर भी वापस आए यह व्यवस्था का अंतर होता है। ये हमारी जिम्मेदारी होती है कि लोगों को सुरक्षित माहौल मिले।
मुख्यमंत्री बोले… बनेगा तामेश्वर नाथ धाम कॉरिडोर
तामेश्वर नाथ शिव मंदिर पहुंचे सीएम ने कहा कि तामेश्वर नाथ धाम कॉरिडोर बनेगा। इस धाम की भव्यता के निर्माण में किसी को भी किसी तरह की समस्या नहीं होने दी जाएगी। किसी को भूमि विहीन नहीं करेंगे, किसी के रोजगार पर असर नहीं होगा। लोगों को सुरक्षित दर्शन का अवसर मिलेगा। सीएम ने कहा कि विश्वस्तरीय निर्माण किया जाए जिससे कि विश्व स्तर पर इस धाम की पहचान बने, बढ़िया कॉरिडोर का निर्माण करें किसी तरह धन की कमी नहीं होने दी जाएगी।
सदियों पुराना है तामेश्वर नाथ धाम का इतिहास
देवाधिदेव महादेव बाबा तामेश्वरनाथ धाम को इतिहास सदियों पुराना है। द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान माता कुंती ने यहां शिव की आराधना कर राजपाट के लिए आशीर्वाद मांगा था। राजकुमार सिद्धार्थ यहां वल्कल वस्त्र त्याग कर मुंडन कराने के पश्चात तथागत बने। धाम का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यहां स्वत: शिवलिग प्रकट होने का प्रमाण मिलता है। इस स्थान को पूर्व में ताम्रगढ़ के नाम से जाना जाता था।