टाइगर रिजर्व से खतरनाक संकेत कहते हैं बाघ है तो जंगल है, लेकिन हालिया रिपोर्ट चौंकाने वाला सच उजागर कर रही है। टाइगर रिजर्व में वन विभाग सबसे चौकस व्यवस्थाएं होने का दावा करता है। लेकिन दो साल में इस क्षेत्र से भी जंगल में कमी आना खतरनाक है। कान्हा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में 1.9 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज हुई है तो कोर एरिया जो बाघ के लिए सबसे ज्यादा संरक्षित होता है वहां तो 12.4 वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में जंगल घटा है। इसी तरह से पन्ना टाइगर रिजर्व में 18.44 वर्ग किलोमीटर जंगल घटा है। पेंच टाइगर रिजर्व के भी बफर जोन में 2.95 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कमी दर्ज की गई है। संजय नेशनल पार्क में 4.18 वर्ग किलोमीटर और संजय टाइगर बफर जोन में 0.79 वर्ग किलो मीटर कमी दर्ज की गई है। ये संकेत हैं कि इन इलाकों में बाघ का घर छोटा होता जा रहा है।
कार्बन स्टॉक में देश में दूसरा रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 608.4 मिलियन टन से अधिक का कार्बन स्टॉक है। जो अरुणाचल प्रदेश के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। हालांकि मध्य प्रदेश में घटता वन क्षेत्र इस स्टॉक को बनाए रखने में चुनौतियां पेश कर रहा है।
बांस आच्छादन में सबसे आगे बांस संसाधनों के मामले में मध्य प्रदेश 20,421 वर्ग किमी के बांस वाले क्षेत्र के साथ सबसे आगे है। देश में बांस के कुल क्षेत्रफल में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें मध्य प्रदेश में पिछले आकलन के बाद से 2,027 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि देखी गई है। यह राज्य में कृषि वानिकी की दिशा में अच्छा संकेत है।
सघन वन बढ़ा, बाकी में गिरावट मध्यप्रदेश में अति सघन वन की स्थिति दो सालों में सुधरी है। वीडीएफ (बहुत घने जंगल) के आंकड़े बताते है कि 2021 में वन आच्छादन का क्षेत्रफल 6,468 वर्ग किमी था जो 2023 में 418 वर्ग किमी बढ़ कर 6886 हो गया है। एमडीएफ (मध्यम सघन वन) में वन आच्छादन की स्थिति वर्ष 2021 में 31,676 वर्ग किलोमीटर थी जो 2023 में 310 वर्ग किमी घटकर 31,366 वर्ग किलोमीटर रह गई है। खुले वन में भी देखे तो वर्ष 2021 में वन आच्छादन 29,651 वर्ग किमी था जो 2023 में 134 वर्ग किमी घट कर 29,517 वर्ग किमी रह गया। वीडीएफ में वन आच्छादन घनत्व 70 फीसदी से ज्यादा, एमडीएफ में 40 से 70 फीसदी और ओपन फारेस्ट में 10 से 40 फीसदी रहता है।
30 जिलो में घट गये जंगल आईएसएफआर रिपोर्ट के अनुसार दो साल में मध्यप्रदेश के 30 जिले ऐसे हैं जहां के जंगलों में कमी दर्ज की गई है। इसमें अलीराजपुर, अशोकनगर, बड़वानी, भोपाल, बुरहानपुर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, धार, डिंडोरी, गुना, हरदा, होशंगाबाद, इंदौर, जबलपुर, कटनी, खरगोन, नरसिंहपुर, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, सागर, सीहोर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सिंगरौली, टीकमगढ़, उमरिया और विदिशा शामिल हैं।
सतना में 987 हैक्टेयर बढ़ा वन क्षेत्र सतना जिले की स्थिति देखे तो यहां के जंगलों में बड़ा इजाफा दर्ज किया गया है। 2021 के बाद दो साल में सतना जिले में 987 हैक्टेयर जंगल का क्षेत्र बढ़ा है। जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 7502 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें वर्ष 2023 में 1755 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल मौजूद है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 23.4 फीसदी एरिया है। वर्ष 2021 की तुलना में वन आच्छादन में हुए परिवर्तन की बात करें तो इसमें 9.87 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।