नियमित रूप से आती है गाय
साड़ी की दुकान के संचालक राजेंद्र प्रसाद गोयल ने बताया कि सुबह दुकान खोलने के बाद 10-11 बजे गाय नियमित रूप से आती है। शीशे के गेट को हल्का का धकिया की अंदर आकर गद्दों बैठ जाती है। सड़क पर साथ में घूमने वाली अन्य गाय नहीं आती हैं। सुभाष ने बताया कि वह व पत्नी सुधा गोयल एक तरफ खरीदारों को साड़ियां पसंद कराते हैं। लोगों की आवाजाही से गाय तनिक नहीं बिदकती है। शुरुआत में एकाएक गाय के शोरूम के अंदर आया देखा तो उसे निकालना चाहा। शीशे के गेट व अन्य शाम के टूटने की आशंका में बाहर निकाला, लेकिन गाय का दुकान में आने और बैठने का सिलसिला शुरू हो गया। गाय को आने से रोकने लिए दूसरी तरफ रोटी देने का तरीका अपनाया, लेकिन गाय दुकान में आकर बैठना बंद नहीं हुआ। अब वे गाय की आवाजाही को लेकर अभ्यस्त हो गए हैं।कोई नुकसान न किसी को तकलीफ
कपड़ा व्यापारी राजेंद्र ने बताया कि गाय के आने जाने से साड़ी की दुकान में कोई नुकसान नहीं हुआ है। गाय शीशे के गेट और साड़ी के डेमो स्टेचू से बच की आती जाती है। खरीदारी करने वालों को भी तकलीफ नहीं होती।क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पालतू पशु ह्यूमन फ्रेंडली व्यवहार के होते हैं। इस श्रेणी में श्वान, गाय व घोड़ा शामिल है। व्यवहार में किसी स्थान और व्यक्ति से अत्यधिक लगाव होने पर पशु बार-बार उसी स्थान पर जाता है। इसी कारण गाय भी प्रति दिन साड़ी की दुकान पर पहुंच रही है।ब्रह्मानंद गुप्ता,पशुधन प्रसार अधिकारी
राजकीय बहुद्देशीय पशुधन चिकित्सालय , हिण्डौनसिटी