Sawaimadhopur: रणथम्भौर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर संकट, बार-बार मंदिर मार्ग पर क्यों आ रहे बाघ?
त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर बाघिन का शावक आने से मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं में भय व्याप्त है। वन विभाग ने एहतियात के लिए वनकर्मियों को तैनात किया है।
Ranthambore: राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में रणथम्भौर नेशनल पार्क में रणथंभौर दुर्ग और उसके आसपास बीते एक माह से बाघ-बाघिनों के मूवमेंट से हादसे की आशंका है। बुधवार को एक बार फिर रणथम्भौर दुर्ग में लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास से दीवार फांदकर बाघिन का एक शावक त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर आ गया। इससे श्रद्धालुओं में भय व्याप्त हो गया। हालांकि कुछ देर में यह शावक यहां से निकलकर जंगल की ओर चला गया।
वन विभाग के अनुसार दुर्ग पर पहुंचा मेल शावक बाघिन टी-124 यानी रिद्धि की संतान बताया जा रहा है। शावक का मूवमेंट दुर्ग और आसपास के क्षेत्र में ही है। त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर दुर्ग में सुबह करीब 7 बजे यह शावक लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास से निकलकर आया। करीब 20 मिनट तक श्रद्धालुओं की आवाजाही बाधित रही।
15 दिन पहले मासूम की ली थी जान
गौरतलब है कि इस घटना से ठीक 15 दिन पहले 16 अप्रैल को एक मासूम बालक को बाघ ने इसी मार्ग पर शिकार बना लिया था। इसके बाद वन विभाग ने मार्ग को नौ दिनों तक बंद कर दिया था और सुरक्षा पुख्ता करने का दावा किया था। लेकिन आज की घटना ने इन दावों की हकीकत फिर से उजागर कर दी।
जंगल में 17-18 बाघों का आवास
स्थानीय जानकारों के अनुसार रणथंभौर किले और मंदिर मार्ग के आस-पास 17 से 18 बाघ-बाघिन नियमित रूप से विचरण कर रहे हैं,जिससे श्रद्धालुओं की जान जोखिम में है। वन्यजीव विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह क्षेत्र अब हाई-रिस्क जोन बन चुका है, जहां बिना उचित सुरक्षा के किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर खतरा
पिछले दिनों सिंहद्वार पर बाघ देखे जाने पर भय का माहौल बन गया। इस इलाके में 17 बाघ-बाघिन और शावकों की आवाजाही होने से गणेश मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर खतरा बना हुआ है। बाघ, बाघिन और शावकों की यहां मौजूदगी के मद्देनजर किसी अनहोनी की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। हालांकि वन विभाग श्रद्धालुओं की सुरक्षा के इंतजाम में जुटा हुआ है।
छतरी वाला मार्ग खोला
त्रिनेत्र गणेश मंदिर के पास बाघिन रिद्धी के मूवमेंट के बाद वन विभाग ने एहतियात के तौर पर निगरानी और ट्रेकिंग के लिए वन कर्मियों को तैनात किया है। वन विभाग ने छतरी वाले मार्ग को बंद करके अन्य मार्ग से श्रद्धालुओं को त्रिनेत्र गणेश मंदिर तक भेजने के इंतजाम भी किए। श्रद्धालुओं का कहना है कि वन विभाग की ओर से आनन फानन में बिना सुरक्षा और निगरानी के माकूल प्रबंध किए बिना ही त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग और मंदिर को एक बार फिर खोल दिया गया है, जबकि बाघ-बाघिन और अन्य वन्यजीवों की हलचल दुर्ग और उसके आसपास के क्षेत्र में देखी जा रही है।
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