ये एक विशेष प्रजाति के डॉग्स है और अपनी खोजने की प्रवृति और सूंघने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। जानकारी के अनुसार पूर्व में 2022 में मैनेजमेंट इफेक्टिव इवेलेशुन सर्वे के दौरान एनटीसीए की ओर से इस बात की अभिशंसा की गई थी। ऐसे में अब विभाग की ओर से इस अभिशंसा को अमली जामा पहनाने की कार्रवाई की जा रही है।
शिकार की गतिविधियों को रोकने में कारगर
जानकारी के अनुसार रणथम्भौर व उसके आसपास के क्षेत्रों में शिकारियों की गतिविधियों में लगातार इजाफा हो रहा है। गत दिनों में एमपी में पकड़े गए शिकारियों के पास तीन बाघों के अवशेष बरामद हुए। साथ ही पूर्व में रणथम्भौर के कुछ बाघ गायब हो गए थे। ऐसे में अब शिकार और अन्य गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए विभाग की ओर से इस प्रकार का कदम उठाया जा रहा है।
पंचकुला में दिया जा रहा प्रशिक्षण
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रणथम्भौर की स्पेशल क्राइम यूनिट को सौंपे जाने वाले डॉग्स का वर्तमान में आईटीबीपी यूनिट के हरियाणा के पंचकुला स्थित बेस में प्रशिक्षण का कार्यक्रम चल रहा है। यहां पर विशेषज्ञों की ओर से डॉग्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये बाघ व पैंथर सहित आदि वन्यजीवों की हड्डियों और खाल को सूंघकर उनकी पहचान करने में समक्ष होते हैं।
तीन टाइगर रिजर्व में पहले से ही है ऐसी व्यवस्था
मिली जानकारी के अनुसार देश के कई टाइगर रिजर्व में इस प्रकार का डॉग स्कवायड पहले से है। इनमें काजीरंगा, परियार और उत्तराखण्ड का जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क शामिल हैं। अब इन्हीं की तर्ज पर रणथम्भौर में भी यह व्यवस्था की जा रही है।