बताया कि कई लोग कई लोग हमारे पास आते हैं, जो बताते हैं कि तरह-तरह से फ्रॉड के फोन आ रहे हैं। मेरे पास भी पिछले दिनों एक फोन आया कि आपका एटीएम कार्ड बंद हो गया है, चार्ज देना पड़ेगा। नहीं तो बैंक खाते की जमा राशि लेप्स हो जाएगी। बैंक एकाउंट ओपन नहीं होगा, कानूनी कार्रवाई की जाएगी। तब उनसे कहा कि आप कहां हैं, बताइए आकर सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, तो दूसरी तरफ से फोन करने वाले ठग ने फोन काट दिया।
इसी तरह से साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। रोज हम साइबर फ्रॉड के शिकार होने की खबरें पढ़ते और सुनते हैं। आम जनता को ऐसे फ्रॉड के प्रति जागरूक कर सकें, इसके लिए पत्रिका रक्षा कवच नाम से अभियान चला रहा है। अभियान के तहत सोमवार को बोरदई टेकरी पर ज्ञान योग स्वच्छता समिति के सदस्यों की उपस्थिति में टॉक शो आयोजित किया गया। इसमें लोगों से साइबर फ्रॉड और उससे बचने के उपायों पर चर्चा की गई।
इस मौके पर मौजूद शशि सनोडिया, संभू विश्वकर्मा, राकेश बंदेवार, श्याम सनोडिया, दशाराम पंचेश्वर, राजकुमार सनोडिया, मिथुन सनोडिया, राजा राम पंचेश्वर, बलराम डहेरिया आदि कि उपस्थिति रही। उन्होंने ने चर्चा करते साइबर ठगी, डिजिटल अरेस्ट सहित जालसाजी से जुड़े अन्य मामलों की जानकारी दी और लोगों को इससे सावधान रहने और लालच नहीं करने की सीख दी। इस मौके पर टॉक शो में शामिल लोगों ने अपनी बात रखी और अपने साथ हुई घटनाओं को बताते हुए लोगों से ऐसे मामलों में जागरूक रहने की सलाह दी।
लालच में ना आएं
शशि सनोडिया ने कहा कि सबसे पहले लालच है, हमें लालच में नहीं आना है। मोबाइल हमारे जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है। ऐसे में मोबाइल का उपयोग तो करें पर सावधानी के साथ। मिथुन सनोडिया ने कहा कि किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक न करें, अपरिचित महिला से संपर्क ना करें, मोबाइल पर बात ना करें। साइबर फ्रॉड से बचने के लिए सबसे उचित है कि आप जागरूक रहें।
समाचार पत्र हमेशा पढ़ते रहें –
किशोर चौरसिया ने कहा कि समाचार पत्र हमेशा पढ़ते रहें, इससे जागरुकता बनी रहती है। मौजूदा समय में नए-नए तरीकों से ठगी की जा रही है। इसके बारे में समाचार पत्र के माध्यम से जागरुक करने खबरें प्रकाशित हो रही हंै। इसमें पत्रिका लगातार काम कर रहा है। लोग पत्रिका जरूर पढ़ें। डिजिटल अरेस्ट का फोन आने पर पुलिस को सूचना दें। भय के कारण शांत न रहें। अनजान क्यूआर कोड को स्कैन न करें, अनजानी लिंक पर क्लिक न करें और न ही उसे डाउनलोड करें। अपनी व्यक्तिगत जानकारी, पासवर्ड फोन में सेव न करें। बैंकों में खातेदार का मोबाइल नंबर, पता सहित अन्य जानकारी होती है। बैंक द्वारा इसकी जांच और वेरिफिकेशन कराया जाना चाहिए। इससे असली खातेदारों का पता चल जाएगा और फर्जी खाते पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई कराई जानी चाहिए। साइबर ठगों का कोई स्थाई पता नहीं होता है।