विशेषज्ञों ने चेताया
वातावरण में धुंध की एक परत से छा रही है। उत्तर भारत से बहती सर्द हवाओं में मौजूद पीएम-2.5 के कण समेत अन्य नुकसानदायक गैसें वातावरण में लंबे समय तक तैर रही हैं। विशेषज्ञों की माने तो समय रहते नहीं चेते और सावधानी नहीं बरती गई तो आने वाले दिनों में स्वच्छ सांस लेना पाना भी दुश्वार हो जाएगा।यह है कारण
एक्सपर्ट की मानें तो सीकर में इन दिनों उत्तर भारत की ओर से नम हवाएं चल रही है। सर्द हवा भारी होने के कारण लम्बे समय तक वातावरण में तैरती रहती है। जिससे हवा में फैला प्रदूषण को छंटने में अधिक समय लगता है। सड़कों पर चल रहे वाहनों व फैक्ट्री की संख्या बढ़ती जा रही है।यह है तय मानक
वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई के लिए स्तर निर्धारित किए गए हैं। एक्यूआई 0 से 50 है तो वायु की गुणवत्ता अच्छी है और प्रदूषण से कोई खतरा नहीं है। एक्यूआई 51 से 100 के बीच हो तो संतोषप्रद माना जाता है। इस दौरान वायु प्रदूषण के प्रति संवदेनशील लोगों के जोखिम हो सकता है। एक्यूआई 101 से 150 तक है तो केवल संवेदनशील लोगों के स्वास्थ्य को खतरा होने लगता है।समस्या: प्रदूषण के कारणों को नजरअंदाज करने से बढ़ी परेशानी
जिले में चल रहे निर्माण कार्य, वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि, खुले में कचरा का जला दिया जाना आदि कई ऐसे कारक हैं जो यहां की वायु की गुणवत्ता को लगातार कम कर रहे हैं और उसे दूषित कर रहे हैं।इनका कहना है
पिछले सालों की तुलना में इस बार दिसम्बर माह सांस और एलर्जी के मरीज बढ़े हैं। जिन मरीजों में पूर्व में सीओपीडी और अस्थमा के लक्षण नहीं थे वे भी प्रदूषण के कारण उभर रहे हैं। इसलिए सावधानी रखनी जरूरी है। ऐसे में पुराने मरीजों को बाहर निकलते समय मुंह पर मास्क लगाने की सलाह दी जाती है।डॉ. प्रहलाद दायमा, सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट, सीकर