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सिंगरौली

इलाज का बढ़ा दायरा: रीढ़ की हड्डी के पास था बड़ा ट्यूमर, होम्योपैथी दवा से बच्ची को मिली राहत

विश्व होम्योपैथी दिवस : भोपाल एम्स के चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने परिजनों को दिया था परामर्श सिंगरौली. तीन वर्षीय पंक्षी को रीड की हड्डी के पास ट्यूमर था। भोपाल एम्स में परिजन इलाज करा रहे थे। चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने का परामर्श दिया। लेकिन परिजन होम्योपैथी पर भरोसा जताकर पंक्षी का इलाज शुरू कराया। होम्योपैथी […]

सिंगरौलीApr 10, 2025 / 07:01 pm

Anil singh kushwah

भोपाल एम्स के चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने परिजनों को दिया था परामर्श

भोपाल एम्स के चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने परिजनों को दिया था परामर्श

विश्व होम्योपैथी दिवस : भोपाल एम्स के चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने परिजनों को दिया था परामर्श

सिंगरौली. तीन वर्षीय पंक्षी को रीड की हड्डी के पास ट्यूमर था। भोपाल एम्स में परिजन इलाज करा रहे थे। चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने का परामर्श दिया। लेकिन परिजन होम्योपैथी पर भरोसा जताकर पंक्षी का इलाज शुरू कराया। होम्योपैथी दवा का सेवन करने से दो महीने में ही बच्ची का ट्यूमर गायब हो गया और उसे तबीयत में आराम मिलने लगा। इलाज के बाद अभी तक मरीज स्वस्थ्य है।
मरीजों में लगातार बढ़ रहा विश्वास
इसी प्रकार शहर के नवजीवन विहार की रहने वाली दो वर्षीय परी बचपन से ही वात रोग से पीडि़त थी। निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने स्टेरॉइड और रूमेटिक इलाज कराने के लिए परिजनों को परामर्श दिया। मगर परिजनों ने बच्ची का होम्योपैथी इलाज शुरू कराया। जिससे उसे बीमारी से राहत मिल गई। यह तो महज उदाहरण है। इस तरह से कई गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीज होम्योपैथी दवाओं से स्वस्थ्य हो रहे हैं।
असाध्य रोग का हो रहा इलाज
होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. सुशील चंदेल ने बताया कि इस पैथी में असाध्य रोग को लेकर लगातार शोध चल रहा है और असरकारक दवाओं के इलाज मरीज ठीक भी हो रहे हैं। यही वजह है कि इस पैथी से इलाज में लोगों का लगातार विश्वास बढ़ रहा है। क्लीनिकों में मरीजोंं की लाइन लग रही है।
पैरालाइसिस तक के मरीज हो रहे ठीक
चिकित्सकों का दावा है कि इस पैथी से चेहरे का लकवा, माइग्रेन व पाचन तंत्र की तकलीफ कम समयांतराल में ठीक किया गया है। होम्योपैथी की दवा लेना सभी के लिए आसान और सरल होता है। चर्म रोग, एक्जिमा, सोरायसिस जैसी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। जबकि अंग्रेजी विधा में स्टेरॉयड जैसी दवा इन मरीजों को देने से कई तरह के अन्य नुकसान शरीर में होने लगते हैं। शरीर के अंदर बाहर किसी तरह की गांठ, गिल्टी ट््यूमर भी होयोपैथिक दवा से गलकर ठीक हो जाते हैं। कई ऑटोइयून बीमारियों जैसे कोलाइटिस रोग होम्योपैथिक से जड़ से खत्म हो जाते हैं। ं
जड़ से खत्म होती है बीमारी
होम्योपैथिक दवा की यह विधा एक संपूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जिसमें सभी तरह के नए पुराने रोगों का इलाज बिना किसी साइड इफेक्ट के आसानी से किया जाता है। सस्ती दवा लेने का आसान तरीका और जड़ से बीमारी का इलाज होम्योपैथिक को लोकप्रिय बनाती है। इलाज सभी के सामथ्र्य में होता है। गौरतलब है कि 10 अप्रेल 1755 को डॉ. सैमुअल हेनिमेन जन्म हुआ था। जिन्होंने होम्योपैथिक चिकित्सा की नीव रखी थी। जो आज पूरे विश्व में लोकप्रिय होती जा रही है।
सरकार को बहुत कुछ करने की जरूरत
होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. सुमन वैश्य, डॉ. निशाकर मिश्रा, डॉ. ओपी राय ने बताया कि शासन के बिना प्रचार-प्रसार के होम्योपैथिक विश्व में स्थापित है। यदि शासन का सहयोग प्राप्त होता तो यह और लोकप्रिय होगी। वर्तमान सरकार ने होम्योपैथिक की लोकप्रियता को देखते हुए आयुष विभाग के द्वारा कुछ ध्यान देना शुरू किया है। मगर यह पर्याप्त नहीं है। अभी तक होयोपैथिक अपनी विशेषता के कारण ही लोकप्रिय हुई है।
ये भी है एक उदाहरण
डॉ. सुशील चंदेल ने बताया कि वैढऩ निवासी एक महिला के चेहरे पर पैरालाइसिस की शिकायत थी। मरीज ने तीन वर्ष तक अंग्रेजी दवा कराया लेकिन सुधार नहीं हो रहा था। जब उसने हौम्योपैथी दवाओं का सेवन करना शुरू किया तो एक माह में वह पूरी तरह से ठीक हो गई। मरीजों के स्वस्थ्य होने के बाद अन्य लोगों का भी होम्योपैथी पर विश्वास बढ़ रहा है। यही कारण है कि वर्तमान में क्लीनिक पर एक दिन में 40-50 मरीजों की भीड़ जुटी रहती है।

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