‘सेंट्रल प्रिकॉशियस प्यूबर्टी’ (Central Precocious Puberty) एक ऐसी स्थिति है जिसमें लड़कियों में आठ साल से पहले और लड़कों में नौ साल से पहले यौवन से जुड़ी शारीरिक बदलाव शुरू हो जाते हैं। इस शोध में जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल एसेन सहित कई शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने स्वास्थ्य बीमा के आंकड़ों के आधार पर करीब 6,500 लोगों का अध्ययन किया, जिनमें से लगभग 1,100 बच्चों में जल्दी यौवन शुरू हुआ था। इन्हें 13 साल तक ट्रैक किया गया।
अमेरिकन मेडिकल जर्नल JAMA नेटवर्क ओपन में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, जिन बच्चों में यौवन जल्दी आया, उनमें मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन, चिंता और व्यवहार संबंधी विकार होने की संभावना 50% अधिक पाई गई।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जल्दी यौवन शुरू होने वाले बच्चों में डिप्रेशन होने का खतरा 70% और चिंता संबंधी समस्याओं का खतरा 45% ज्यादा होता है। अध्ययन में कहा गया, “सेंट्रल प्रिकॉशियस प्यूबर्टी (CPP) मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बढ़े हुए खतरे से जुड़ी है और इसके दीर्घकालिक प्रभाव देखे गए हैं।”
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि जिन बच्चों में यौवन जल्दी आ जाता है, उनके माता-पिता और देखभाल करने वालों को मानसिक लक्षणों के प्रति सतर्क रहना चाहिए, ताकि शुरुआती चरण में ही उचित इलाज शुरू किया जा सके।
पिछले अध्ययनों में इस विषय पर मिले-जुले और अस्थिर परिणाम सामने आए थे, लेकिन इस बड़े और दीर्घकालिक शोध से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि जल्दी यौवन मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।