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युवाओं के लिए जानलेवा बन रहा तम्बाकू का शौक, एक दशक में चार गुना बढा कैंसर

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस आज आधुनिक जीवन शैली के साथ युवाओं में शौक और दूसरों को रौब झाड़ने के लिए तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों के सेवन की लत बढ़ती जा रही है। हाल यह सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि जानलेवा बीमारी का कारण बनता जा रहा है। जिसका परिणाम अस्पतालों में आने वाले मरीजों को […]

सीकरMay 31, 2025 / 11:00 am

Puran

Cardiovascular disease smoking risks

Cardiovascular disease smoking risks

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस आज

आधुनिक जीवन शैली के साथ युवाओं में शौक और दूसरों को रौब झाड़ने के लिए तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों के सेवन की लत बढ़ती जा रही है। हाल यह सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि जानलेवा बीमारी का कारण बनता जा रहा है। जिसका परिणाम अस्पतालों में आने वाले मरीजों को देखने को मिल रहा है। कई बार तो तम्बाकू के दुष्प्रभाव के कारण चिकित्सक तक उपचार कर पाने में लाचार हो जाते हैं। नतीजन संबंधित मरीज की मौत तक हो जाती है। चिंताजनक बात है कि अकेले कल्याण अस्पताल में एक दशक में तम्बाकू जनित कैंसर के मामलों में चार गुना तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। श्वसन रोग और मेडिसिन ओपीडी से जुटाए आंकड़ों के अनुसार इस प्रकार के मरीजों में 30 वर्ष के युवाओं में तम्बाकू सेवन में 35% की वृद्धि हुई है। एनसीडी क्लीनिक के अनुसार अकेले मुंह, गले और फेफड़े के कैंसर के मामले पिछले 10 वर्षों में चार गुना तक बढ़ गए। तम्बाकू के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर शनिवार को तंबाकू एक धीमा जहर है, इससे बचाव ही समझदारी थीम पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान जिले में तम्बाकू के प्रति जागरुकता को लेकर कई आयोजन होंगे।

पैसिव स्मोकिंग बडा खतरा

प्रदेश में 1 करोड़ 21 लाख लोग और सीकर जिले में चार लाख 79 हजार 911 लोग सीधे तौर पर तम्बाकू और तम्बाकू के उत्पादों के सेवन से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। जबकि पैसिव स्मोकिंग (सैकंड हेंड स्मोकिंग ) के कारण प्रभावित लोगों का आंकड़ा जोड़ा जाए तो यह करीब दोगुना से ज्यादा है।इनमें ग्रामीण अंचल के लोगों की संख्या ज्यादा है। ग्लोबल टोबैको हेल्थ सर्वे (गेट्स ) और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस ) के अनुसार प्रदेश में हर साल घर पर ही रहने वाली 95 लाख महिलाएं व 91 लाख पुरुष सेकंड हैन्ड स्मोकिंग के शिकार होते हैं। चिकित्सकों के अनुसार पैसिव स्मोकिंग का मतलब है कि धूम्रपान नहीं करने वाले वे लोग जो किसी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की ओर से किए गए धूम्रपान के जरिए छोड़े गए धुएं में ही सांस ले रहे होते हैं। जो लोग धूम्रपान के धुएं की चपेट में आ जाते हैं उन्हें सांस की बीमारी हो जाती है। धूम्रपान करने वाले अभिभावकों के घरों में सांस लेने वाली हवा में खतरनाक स्तर का निकोटीन पाया जाता है। निकोटीन के ये नुकसानदेह तत्व कपड़ों और अन्य सामान में भी चिपके रहते हैं। जिससे पूरा वातावरण ही प्रभावित हो जाता है। जिससे कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों को नुकसान ज्यादा होता है।

कानून की उड़ रही धिज्ज्यां

प्रदेश सरकार ने 18 साल से कम उम्र के लोगों को तम्बाकू बेचने पर रोक लगाई है, और सार्वजनिक स्थानों पर इसके सेवन पर जुर्माना तय है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके उलट है। कई जगह सरकारी और निजी स्कूलों के 100 मीटर दायरे में भी तम्बाकू की दुकानें चल रही हैं। दुकानों पर लगे चेतावनी चित्रों और स्लोगन का असर नगण्य है। सरकारी ढिलाई का नतीजा है कि गुटखा, बीड़ी और जर्दा के रूप में तम्बाकू का सेवन आम होता जा रहा है। स्कूल और कॉलेजों के आस-पास खुलेआम तम्बाकू उत्पादों की बिक्री हो रही है, जिससे किशोरों में इसकी लत तेजी से बढ़ रही है।

रोजाना साढ़े तीन सौ नए युवा चपेट में

पिछले सालों में हुए सर्वे के अनुसार प्रदेश में दो साल तक हुए लगातार सर्वे के बाद जारी रिपोर्ट के अनुसार हर माह बीड़ी पीने वाला व्यक्ति प्रतिमाह 423 रुपए खर्च करता है जबकि 112 करोड़ रुपए सिगरेट पर खर्च होते हैं। प्रदेश में तम्बाकू उपभोगकर्ता प्रतिदिन 61 करोड़, प्रतिमाह 1820 करोड़ खर्च करते हैं। तम्बाकू उत्पादों से प्रदेश में प्रतिवर्ष 88000 मौतें होती हैं अर्थात रोजाना 240 लोग तम्बाकू जनित बीमारियों से मरते हैं। प्रदेश में रोजाना 350 युवा तम्बाकू का उपभोग शुरू करते हैं।

मौत का बड़ा कारण

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में ह्दयघात के बाद तम्बाकू सेवन से होने वाली मौत का आंकड़ा सबसे बड़ा है। तम्बाकू अपने आधे उपयोगकर्ताओं को समय से पहले ही मौत के घाट उतार देता है। तम्बाकू का उपयोग कैंसर, हृदय रोग, सीवीडी, मधुमेह, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, स्ट्रोकए बांझपन, अंधापन, तपेदिक, टीबी रोग बढ़ाने का सबसे बड़ा कारक है। प्रदेश में 1.2 करोड़ लोग तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। उनमें से लगभग 70 लाख तम्बाकू चबाते हैं। करीब 63 लाख बीड़ी या सिगरेट पीते हैं। वहीं 12 लाख धूम्रपान करने के साथ.साथ तंबाकू भी चबाते हैं। हर साल 80 हजार लोग तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं। तम्बाकू और तम्बाकू पर होने वाले प्रत्यक्ष व्यय के कारण स्वास्थ्य देखभाल व्यय एक साथ मिलकर देश में सालाना लगभग 1.5 करोड़ लोगों गरीबी रेखा से नीचे आ जाते हैं।

इनका कहना है

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस केवल एक तारीख न बनकर एक चेतावनी होनी चाहिए। जिससे लोगों में जागरुकता बढ़े। तम्बाकू की लत इस प्रकार बढ़ती गई तो आने वाली पीढ़ी तम्बाकू की गिरफ्त में ही दम तोड़ देगी।
राजन चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता

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