न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायाधीश संदीप शाह की खंडपीठ ने यह टिप्पणी श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर निवासी शिक्षिका गौरी की विशेष अपील स्वीकार करते हुए की। गौरी का स्थानांतरण जनवरी, 2025 में अंग्रेजी विषय पढ़ाने के लिए सीनियर सेकेंडरी स्कूल में किया गया था, जबकि उनकी स्नातक में वैकल्पिक विषय इतिहास और अर्थशास्त्र थे।
RAS अभ्यर्थियों के लिए बड़ा मौका, 733 से बढ़कर 1096 हुए पद, परीक्षा 17-18 जून को
कोर्ट ने कहा- यह शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन
खंडपीठ ने कहा कि किसी शिक्षक को ऐसे विषय के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता, जिसके लिए वह अर्हता नहीं रखता। यदि वह विषय ठीक से नहीं पढ़ा पाता है तो उस पर विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है, जो उसके लिए अनुचित होगा। वहीं, छात्रों को भी उस विषय में योग्य शिक्षक नहीं मिलेगा, जो उनके शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है। अपीलकर्ता ने दलील दी थी कि स्नातक में अंग्रेजी केवल अनिवार्य विषय रही है, वैकल्पिक नहीं थी।
क्या कहता है नियम
नियमों के अनुसार, किसी विषय को पढ़ाने की पात्रता तभी बनती है जब वह विषय स्नातक में वैकल्पिक के रूप में पढ़ा गया हो। कोर्ट ने शिक्षिका की दलीलों को उचित मानते हुए एकल पीठ के 4 फरवरी, 2025 के आदेश और जिला शिक्षा अधिकारी श्रीगंगानगर की ओर से जारी 9 जनवरी, 2025 के स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासनिक आवश्यकता के नाम पर ऐसे आदेशों को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता, जो सेवा नियमों और शिक्षा की गुणवत्ता के मानको के खिलाफ हो।