scriptBaraneshwar Dham: घने जंगल में बसा चमत्कारी बरणेश्वर धाम, जहां शिव की लीला से डरकर भाग छूटे थे चोर | Interesting facts related to Baraneshwar Dham of Tonk | Patrika News
टोंक

Baraneshwar Dham: घने जंगल में बसा चमत्कारी बरणेश्वर धाम, जहां शिव की लीला से डरकर भाग छूटे थे चोर

टोंक जिले की सोप उप तहसील के मोहमदपुरा गांव के पास घने जंगल में बरणेश्वर धाम स्थित है। यह स्थान करवाड़िया गुड्डा क्षेत्र के पूर्व में 10 से 15 किलोमीटर दूर है।

टोंकJul 20, 2025 / 12:17 pm

Anil Prajapat

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बरणेश्वर धाम में शिवजी का मंदिर। फोटो: पत्रिका

टोंक जिले की सोप उप तहसील के मोहमदपुरा गांव के पास घने जंगल में बरणेश्वर धाम स्थित है। यह स्थान करवाड़िया गुड्डा क्षेत्र के पूर्व में 10 से 15 किलोमीटर दूर है। गांव का पुराना नाम करवाड़िया था। यह गांव पहाड़ी की तलहटी में बसा है। यहां होल्कर महारानी अहिल्याबाई ने ग्यारहवीं शताब्दी में मराठा शैली में मंदिर बनवाया था, जो अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।

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पास की पहाड़ी पर माता जी का स्थान है, जहां आज भी दर्शनार्थी पहुंचते हैं। यह क्षेत्र कभी टोंक नवाब के अधीन था। नवाब शिकार के लिए आते थे। जंगल में बनी कचहरी और शिकारगाह अब खंडहर रूप में मौजूद हैं।

इसलिए कहा जाने लगा बरणेश्वर धाम?

इसी पहाड़ी से दक्षिण में करीब एक हजार मीटर दूर बरणेश्वर धाम है। यहां बरण पेड़ों की अधिकता के कारण इसका नाम बरणेश्वर पड़ा। इस मंदिर में भगवान शिवशंकर का दो फीट ऊंचा शिवलिंग जलहरि सहित स्थापित है। चाकल नदी यहां चंद्राकार रूप में बहती है।

मंदिर के आगे एक प्राचीन बावड़ी

मंदिर से एक किलोमीटर दूर गुड्डा गांव है, जो बूंदी जिले की सीमा में आता है। यह स्थान टोंक और बूंदी की अंतिम सीमा पर है। चाकल नदी पर बना बांध सिंचाई में काम आता है। मंदिर के बाहर एक प्राचीन बावड़ी है, जो जीर्ण अवस्था में है। पानी के लिए ट्यूबवेल और हैंडपंप लगे हैं।मंदिर परिसर में बड़ा बरामदा, दो-तीन बड़े कमरे और धर्मशाला जैसी संरचनाएं बनी हैं।
Baraneshwar Dham

साधु-संतों की तपस्या स्थली रहा यह स्थान

यह स्थान साधु-संतों की तपस्या स्थली रहा है। जमनादास महाराज ने यहां कठोर तप किया था। जनश्रुति है कि उनके यज्ञ में घी कम पड़ गया था। तब नदी से पांच पीपे पानी लाकर मालपुए बनाए गए। आठ दिन बाद पांच पीपे घी मंगवाकर नदी में उड़ेल दिए गए। श्रावण मास में हर सोमवार को मेला लगता है।

मंदिर में वर्षों से जल रही अखंड ज्योति

गांव के लोग बताते है कि एक बार चोरों ने शिवलिंग को नीलम समझकर चुराने की कोशिश की पर शिवलिंग नहीं हिला। शिव की लीला से चोर भी डर गए थे और भाग छूटे थे। मंदिर में वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है। पुजारी छोटू नाथ संप्रदाय से हैं।उन्होंने बताया कि हर पूर्णिमा को सत्यनारायण कथा और रात्रि में जागरण होता है। हर चतुर्दशी और अमावस्या को मेला भरता है। लोग नदी में स्नान कर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं।

ऐसे पहुंच सकते हैं बरणेश्वर धाम

यहां पहुंचने के लिए निजी साधन ही एकमात्र विकल्प है। दिल्ली-मुंबई हाईवे इसी बांध के पास से गुजरता है। बाबई ग्राम से कच्ची सड़क है। मोहमदपुरा से जंगल के रास्ते भी पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता कच्चा है और नजदीक भी है, जो चार किलोमीटर पड़ता है। महादेव के भक्तों के लिए यह सीधा पड़ता है। वर्षों पुराने इस रास्ते को वन विभाग ने चारदीवारी करके बंद कर दिया है। इन्द्रगढ़ सुमेरगंज मंडी रेलवे स्टेशन से गुड्डा ग्राम तक सड़क बनी है। वहां से भी यहां पहुंचा जा सकता है। लेकिन इस रास्ते से श्रद्धालुओं को 35 किलोमीटर का चक्कर काटकर इन्द्रगढ़ होकर आना पड़ता है।

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