कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के गठन को लेकर राज्य सरकार की ओर से गठित एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट गत 30 अक्टूबर को राज्य सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के बाद मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एसआरवी मूर्थि ने जयपुर में विभागीय अधिकारियों के समक्ष प्रस्तावों को लेकर प्रजेंटेशन दिया था। इसी प्रक्रिया के तहत गत शुक्रवार शासन सचिवालय में बैठक हुई। जिसमें अधिकारियों ने प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में प्रे-बेस (शाकाहारी जीव) की उपलब्धता पर सवाल खड़े किए। इसमें पूछा गया है कि भविष्य में बाघ के भोजन के लिए प्रे-बेस की व्यवस्था कैसे की जाएगी। साथ ही प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के बीच से गुजरने वाली मेवाड व मारवाड़ को जोड़ने वाली सड़कों से उत्पन्न दुष्प्रभावों के समाधान को लेकर कार्य योजना मांगी गई है। ऐसे में अब इस प्रक्रिया को गति पकड़ने में कुछ माह का समय और लग सकता है।
महज दस मिनट में सिमट गई बैठक
सूत्रों के अनुसार टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आयोजित बैठक महज दस मिनट में समाप्त हो गई। इसकी शुरुआत में अतिरिक्त शासन सचिव ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) से उनकी राय जानी। उन्होंने प्रस्ताव में प्रे-बेस की उपलब्धता और सड़कों से होने वाले खलल को रोकने संबंधी उपाय नहीं होने की बात कही। इस पर रिपोर्ट में रही कमियों को दुरुस्त कर दुबारा भेजने की बात कहकर बैठक समाप्त कर दी गई।
पांच जिलों में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व
राज्य सरकार की ओर से गठित एक्सपर्ट कमेटी ने गत अक्टूबर माह में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का कोर एरिया, क्रिटिकल टाइगर हेबिटेट, बफर व पैराफेरी एरिया का निर्धारित कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसके लिए सरकार ने 11 सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व में राजसमंद, उदयपुर, पाली, ब्यावर व सिरोही जिलों के हिस्से शामिल होना प्रस्तावित है।
इनका कहना …
कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व को लेकर जयपुर में बैठक हुई थी। जिसमें अधिकारियों ने कुछ अतिरिक्त सूचना शामिल कर रिपोर्ट वापस देने को कहा है। हालांकि अभी बैठक का विवरण नहीं मिला है। उसके बाद आगे की कार्यवाही तय होगी। – सुदर्शन शर्मा, उपवन संरक्षक, राजसमंद