देवस्थान विभाग की देखरेख में राजस्थान और राज्य से बाहर 2327 संपत्तियां हैं। विभाग के दो मंदिर उदयपुर और एक मंदिर झालरापाटन में ऐसा है, जिनकी जमीनों पर 55 खनन पट्टे जारी होते हैं। जहां एक ओर मंदिर चढ़ावा और संपत्तियों से आय होती है, वहीं खनन लीज पट्टे भी आय का जरिया है।
यह है स्थिति…
झालरापाटन स्थित द्वारिकाधीश मंदिर की जमीन पर 6 लीज धारक हैं, जिनसे करीब 5 लाख आय है।
उदयपुर के ठाकुर श्यामसुंदरजी मंदिर की जमीन पर 24 लीज धारक हैं, जिनसे 25 लाख आय होती है।
उदयपुर जिले के ऋषभदेव मंदिर के नाम की जमीन पर 25 लीज धारक हैं, जिनसे 40 लाख आय होती है। लीजधारकों पर लाखों की उधारी भी
देवस्थान विभाग की खान नीति के अनुसार जमीन की एनओसी दी जाती है, वहीं खान विभाग की ओर से खनन अनुमति जारी होती है। देवस्थान की 55 खदानों में से कई खदानें ऐसी हैं, जिसमें खनन के बाद लीज धारकों ने लीज राशि जमा नहीं करवाई। कई खदानों की लीज को सबलेट भी कर दिया गया। विभाग की ओर से ऐसे मामलों में वसूली की जा रही है। कई लोगों को नोटिस भी दिए गए हैं। कुछ उदाहरण ऐसे भी देखने में आए हैं कि तय मापदंड से ज्यादा जगह पर खनन कर दिया गया है। हालांकि ऐसे लोगों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होती।
शुल्क करवाते हैं जमा
विभाग की ओर से खनन एनओसी जारी की जाती है, जिसके आधार पर लीज आवंटित की जाती है। नियमानुसार विभाग को निर्धारित शुल्क भी विभाग में जमा करवाया जाता है। वासुदेव मालावत, आयुक्त, देवस्थान विभाग