चांदी की बढ़ी कीमतों से निवेशकों में उत्साह का माहौल है, वहीं सर्राफा व्यवसायी सोमवार को नए आंकड़े के साथ बाजार खुलने का इंतजार कर रहे हैं। सोने की तुलना में चांदी अधिक किफायती है, जिससे छोटे और मध्यम निवेशक इसे पसंद कर रहे हैं। सोने-चांदी का अनुपात 107 से घटकर 95 पर आ गया है, जो चांदी की बढ़ती मांग को दर्शाता है। देश में उत्सव और शादी के सीजन में चांदी की मांग बढ़ी है।
यह भी जानें स्थिति
4,172 मीट्रिक टन चांदी का आयात गत चार माह में 1.10 लाख प्रति किलो तक भाव पहुंचने का अनुमान 1.30 लाख प्रति किलो भाव अगले 2-3 साल में संभव 6000 रुपए तक रिटर्न चांदी ने दिया गत चार माह में
कीमतों में तेजी की ये वजह
– औद्योगिक मांग में बढ़त: चांदी का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल, ऑटोमोटिव, और चिकित्सा उपकरणों में व्यापक रूप से होता है। वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर, खासकर सौर ऊर्जा ने चांदी की मांग को बढ़ाया है। – वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और तनाव: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों को चांदी में निवेश की ओर आकर्षित किया है। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट ने भी कमोडिटी कीमतों को समर्थन दिया है।
– नीतियां और ब्याज दरें: फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती के संकेतों ने चांदी की मांग बढ़ाई है। कम ब्याज दरें और कमजोर डॉलर चांदी और सोने को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया है। यदि फेड दरों में कटौती करता है तो चांदी की कीमतें और ऊपर जाएगी।
– वैश्विक व्यापार नीतियों का प्रभाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कुछ तकनीकी उत्पादों पर टैरिफ में छूट ने व्यापार तनाव को कम किया, जिससे चांदी की कीमतों को समर्थन मिला। मुद्रास्फीति और रुपए के मूल्य में उतार-चढ़ाव ने भी कीमतें प्रभावित की है।
आगे क्या… भविष्य की संभावनाएं
– सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में चांदी की मांग अगले कुछ वर्षों में और बढ़ने की उम्मीद है। विशेष रूप से, हमारे देश में नवीकरणीय ऊर्जा पर बढ़ते निवेश से चांदी की मांग को समर्थन मिलेगा। – चांदी को सोने की तुलना में अधिक किफायती और तरल निवेश माना जाता है। अगले 2-3 साल में चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, क्योंकि औद्योगिक मांग लगातार बढ़ रही है।
– चांदी की कीमतें वैश्विक बाजार की अस्थिरता, रुपए-डॉलर विनिमय दर और सरकारी नीतियों से प्रभावित रहेंगी। यदि रुपए का मूल्य गिरता है तो देश में चांदी की कीमतें और बढ़ सकती है। – वैश्विक व्यापार तनाव में कमी से चांदी की मांग पर असर पड़ सकता है, जिससे कीमतों में गिरावट हो सकती है। जुलाई-सितंबर में औद्योगिक मांग कम होने पर कीमतें थोड़ी कम हो सकती है।
– शादी और त्योहारों के चलते अक्टूबर से दिसंबर तक चांदी की मांग और बढ़ सकती है, ऐसे में आगामी समय में भी निवेश और उपभोग दोनों में बढ़ोतरी बनी रहेगी।