बता दें कि एसीबी ने जांच के बाद दो वार्ड पंच और लाभार्थियों सहित करीब 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपियों की ओर से पेश जमानत याचिका को एसीबी न्यायालय क्रम-1 पीठासीन अधिकारी मनीष अग्रवाल ने खारिज कर दिया।
जांच में क्या हुआ
नांदवेल रोड ओरड़ी डबोक निवासी शांतिलाल पुत्र शिवलाल पालीवाल ने गड़बड़झाले के सबंध में एसीबी को परिवाद पेश किया था। एसीबी ने सरपंच शंकरलाल, तत्कालीन ग्राम सेवक और पदेन सचिव प्रकाश पालीवाल सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की। एसीबी ने जांच में पाया कि सरपंच और सचिव ने उनके कार्यकाल में अपराधिक षड्यंत्र रचकर सरकार को आर्थिक हानि व स्वयं लाभ प्राप्त करने की नीयत से अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग किया। सरपंच ने नियम विरुद्ध अपने पुत्र, भतीजे और भाइयों को साल 2009 में पट्टे जारी कर करीब 69 लाख 46 हजार 038 रुपये की राजकोष हानि पहुंचाई।
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ये आरोपी हुए गिरफ्तार
एसीबी ने नांदवेल रोड ओरड़ी निवासी संतोष पुत्र शंकरलाल पालीवाल, उसके भाई संतोष पालीवाल, नरेश पालीवाल, मुकेश पालीवाल, शांतिलाल पुत्र शिवलाल पालीवाल, उसका पुत्र प्रेमशंकर पालीवाल, नाथूलाल पुत्र सुखलाल पाटीदार, पूर्णाशंकर पुत्र शिवलाल पालीवाल, वार्ड पंच प्रेमलाल पुत्र कमलचंद तेली और वार्ड पंच जगन्नाथ पुत्र हीरालाल पुष्करना को गिरफ्तार किया। न्यायालय ने सभी को जेल भेज दिया। मामले में सरकार की ओर से पैरवी विशिष्ट लोक अभियोजक राजेश पारीक ने की।
ये किए थे गड़बड़झाला
-जारी किए गए पट्टों के समस्त भूखंड की एक ही संयुक्त दीवार थी। उनमें सभी के कुछ हिस्से पर कमरा बनाया गया। कुछ भूखंड रिक्त होते हुए भी पट्टे नियम 157 (ख) में अलग-अलग वर्ग फीट के जिनमें 4200, 4700, 6525 और 2400 के जारी किए गए। जबकि ग्राम पंचायत 2700 वर्ग फीट तक के ही आवासीय पट्टे जारी कर सकता है।
-सरपंच द्वारा अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने और सरकार को हानि पहुंचाने की नीयत से पट्टे राजस्थान पंचायत राज नियम 1996 के नियम 157 (ख) के तहत जारी किए गए। जबकि सरपंच और सचिव को उक्त पट्टे राजस्थान पंचायत राज नियम 1996 के नियम 156 के तहत डीएलसी दर से कम किसी भी सूरत में जारी नहीं करना चाहिए था।
-उक्त भूखंडों की डीएलसी दर अनुसार लगभग 25 लाख 79 हजार 900 रुपये की आर्थिक हानि राज्य सरकार को अनुचित रूप से पहुंचाई जाना प्रथम दृष्टया पाया गया। जबकि तत्समय बाजार की प्रचलित दर कई गुना अधिक थी।
-जांच में पता चला कि आरोपियों ने पट्टाधारी नाथूलाल का एक पट्टा राजस्व भूमि में नियम विरुद्ध जारी किया तथा 13 पट्टे निजी खातेदारी में जारी किए।
-पट्टाधारी निकिता और सुनीता को रिक्त भूमि के पट्टे नियमानुसार डीएलसी दर से राशि वसूल कर जारी किया गया। जबकि सरपंच ने अपने पुत्र और परिवार के अन्य सदस्यों को नियम विरुद्ध रिक्त भूमि व आंशिक निर्माण भूमि पर दिखा महज 200 रुपये लेकर जारी किए।