शहर में पार्किंग के स्थान की कमी के चलते 2013 में इस महत्वकांक्षी योजना का काम शुरू किया था। इसमें निगम अधिकारियों ने शपथ पत्र दिया था कि वे बेसमेंट में पार्किंग के बाद वापस छत पर पार्क का निर्माण करेंगे, लेकिन वह पार्क आज तक नहीं बना पाए। इस संबंध में हाइकोर्ट में सिविल इंजीनियर विकास भेरविया ने राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार में पारित निर्णय के आधार पर जनहित याचिका पेश कर रखी है। याचिका में नगर निगम की ओर से पेश तथ्यों, मास्टर प्लान एवं राजस्थान पत्रिका के गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार में पारित निर्णय के विपरीत कार्य करना बताया है। इस पर निगम अधिकारियों ने जवाब देते हुए कहा था कि वे शीघ्र ही यहां पार्क का निर्माण करवाएंगे, लेकिन हकीकत में छत कमजोर होने से वे इसकी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। बल्कि लगातार हाइकोर्ट को गुमराह कर रहे हैं।
अभी बंद पड़ी है पार्किंग
निगम ने इस पार्किंग का ठेका सरकार स्तर पर रिडकोर कंपनी को दिया था, उसने यह ठेका अहमदाबाद की कंपनी को दिया। जिसने 14 करोड़ की लागत से पार्किंग बनाई। घटिया निर्माण सामग्री के चलते यह जगह-जगह दरक गई, वहीं छत में लीकेज आ गए हैं। सभी इलेक्ट्रानिक उपकरण भी खराब हो चुके हैं। अभी भी वहां पानी के पड़वे फूट रहे हैं और दिन-रात मोटर चलाकर पानी को खाली किया जा रहा है। ये पार्किंग अभी बंद पड़ी है।
सभी स्वीकार चुके पार्क बनते ही पड़ेगा अतिरिक्त भार
हाइकोर्ट में पूर्व में निगम की ओर से जवाब दिया गया कि पार्किंग पर पार्क को विकसित करने की संभावनाओं की जानकारी ली जा रही है। इसके लिए निर्मित पार्किंग के स्ट्रक्चर डिजाइन का विस्तृत अध्ययन कराया जा रहा है। यदि पार्क विकसित किया जाता है तो उससे इसकी छत पर अतिरिक्त भार आएगा। उसे सहन करने की क्षमता है या नहीं, पार्क की डिजाइन का विस्तृत अध्ययन करवाया जा रहा है। उसमें किस प्रकार की घास और पेड़-पौधे विकसित किए जाएंगे। इनके निरीक्षण के बाद एक फर्म ने यहां पर पार्क बनाने की जिम्मेदारी ली, लेकिन वापस नहीं आई।