बता दें, ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भक्तों को 400 रुपए किलो का लड्डू प्रसाद 500 रुपए किलो में खरीदना पड़ रहा है। वजह काउंटरों पर अधिकांश समय सिर्फ 100 और 200 ग्राम के पैकेट ही उपलब्ध रहते हैं। इनकी कीमत क्रमश: 50 व 100 रुपए है। वजन के हिसाब से प्रसाद की कीमत देखें तो यह 500 रुपए किलो मिलता है। कुछ स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि ‘‘यह मंदिर आस्था का केंद्र है, न कि व्यापार का।
टेंडर में खत्म हो अनुभव की अनिवार्यता
सोलिसिटस सोशल सोसायटी के अध्यक्ष हेमंत गुप्ता व सचिव योगेंद्र गुप्ता ने मंदिर प्रशासन को एक पत्र लिखकर कहा है कि मंदिर समिति द्वारा तैयार किए जाने वाले लड्डू की प्रिंटेड पैकिंग एफबीबी बोर्ड पैकिंग बॉक्स के लिए निविदा में जो शर्त रखी है, कि अनुभव जरूरी है, यह खत्म हो, क्योंकि इससे साफ जाहिर हो रहा है कि समिति उसी ठेकेदार से वापस काम करवाना चाहती है, जिससे समिति को लाभ पहुंच रहा है।
बॉक्स पैकिंग की ऊंचाई कम, जिससे लड्डू टूटते हैं
मंदिर से मिलने वाले प्रसाद के 200, 500 ग्राम और 1 किलो के बॉक्स पैकिंग की ऊंचाई कम है, जिससे लड्डू टूटते हैं। बॉक्स की ऊंचाई बढ़ाना आवश्यक है, लेकिन ठेकेदार को अब तक यह नहीं कहा गया।
तीन साल बाद निकाली निविदा
22 जून 2022 के बाद यानी तीन साल के बाद 8 मई 2025 को ई-टेंडर के माध्यम से निविदा निकाली गई है। जबकि निविदा में स्पष्ट उल्लेख रहता है कि कलेक्टर द्वारा स्वीकृत और सदस्यों द्वारा अनुशंसित की गई निविदा की स्वीकृत दर पर एक वर्ष अवधि के लिए प्रसाद बॉक्स तैयार किए जाएं।
विभिन्न वजन के बॉक्स और कीमत
इनमें 1 किलो लड्डू पैकिंग बॉक्स प्रतिनग स्वीकृत दर 17.20 500 ग्राम पैकिंग बॉक्स 12.5 -250 ग्राम लड्डू बॉकस 8.15 -100 ग्राम (1 नग) पैकिंग बॉक्स 7.30 -भोजन पार्सल बॉक्स (ट्रे एवं कवर) 16.90 नोट : प्रतिनग स्वीकृत दर रुपए में है।
5 करोड़ की निविदा के लिए 10 लाख की एफडी
बताया जा रहा है कि मंदिर में निविदा शर्तों में 5 करोड़ की निविदा के लिए 10 लाख की एफडी में जमा कराना पड़ता है। इसके अलावा बॉक्स पर 22 भाषाओं के अलावा ब्रेल लिपि में भी बॉक्स पर आरती भोग प्रसाद अंकित किया जाना अनिवार्य होता है। साथ ही क्यूआर कोड, क्वालिटी, इको फ्रेंडली आदि अनेक शर्तें लागू होती हैं।
ज्यादा पैसा लेने की बात सरासर गलत
मंदिर में लड्डू प्रसाद का विक्रय होना किसी लाभ या हानि की दृष्टि से नहीं किया जाता है। अर्थात नो प्रॉफिट-नो लॉस, इसमें किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं चल रही है। जिस भी कंपनी का टेंडर पास होता है, उसे पैकिंग बॉक्स पूर्ण गुणवत्ता के साथ देना होता है। कहीं कोई समझौता नहीं किया जाता। रही बात अधिक रुपए लेने की तो यह सरासर गलत है।