पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान के सभागार में बुधवार को नारी देह से आगे विषय विवेचन में यह बात कही। नैतिकता, दिव्यता, सृजनात्मक क्षमता के साथ नारी को संस्कारों की नींव बताते हुए उन्होंने कहा, हमारे शास्त्र कह रहे हैं कि नारी कुछ देने वाली है और आज वो मांगने वाली हो गई। इस परिस्थिति का जिम्मेदार कौन है? कहां से शुरुआत हुई, इस पर चिंता की जरूरत है। सम्मान रसातल की तरफ क्यों बढ़ रहा सोचना होगा।
सब नकलची…लक्ष्मी के पीछे दौड़ रहे
कोठारी बोेले, आज हम किसकी नकल कर रहे हैं, किसकी तरफ देख बढ़ रहे हैं, इस पर कोई विचार नहीं कर रहा। सब लक्ष्मी के पीछे दौड़ रहे है, जबकि लक्ष्मी जड़ है, उसमें चेतना नहीं है। लक्ष्मी के जितने भी पर्यायवाची हैं, उसमें किसी में चेतना नहीं है। शास्त्रों में पृथ्वी को लक्ष्मी कहा है, पंचमहाभूत है, वो ही लक्ष्मी हैै, वो ही जड़ता है। शरीर भी पंचमहाभूत का बना हुआ है, वो भी जड़ है। मन में कामना नहीं है तो यह कुछ कर नहीं सकता है। हमें चेतना को आत्मा के साथ बढ़ाना होगा।
नारी को सम्मान दिलाना पत्रिका का अभियान
कोठारी ने कहा, देश में नारी का सम्मान नीचे जा रहा है। आज जिस उद्देश्य को लेकर निकले हैं, उसके पीछे नारी को सम्मान दिलाना है। देशव्यापी अभियान के रूप में इसे खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। जो नारी सुसंस्कृत नागरिक देती है, देश का गौरव बढ़ाती है, वह समाज में प्रतिष्ठित हो।