यह कार्यक्रम न केवल विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा को दर्शाता है, बल्कि छात्रों की सांस्कृतिक प्रतिभा को मंच प्रदान करने का एक सशक्त माध्यम भी रहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राम शंकर रहे। उन्होंने छात्रों को संस्कृति और शिक्षा के समन्वय का महत्व बताया और कहा विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ साथ भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को भी समर्पित है। विद्यार्थियों की प्रतिभा ही किसी संस्था की असली पहचान होती है। इसलिए छात्र छात्राओं के विकास के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अलग अलग आयोजनों के माध्यम से मंच प्रदान किया जाता है।
कुलसचिव प्रो. आशीष तिवारी ने विश्वविद्यालय की सतत प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा के साथ कला, साहित्य और संगीत का समन्वय छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। इस प्रकार के आयोजन छात्र जीवन में प्रेरणा और आत्मविश्वास का संचार करते हैं।
संगीत विभाग की ओर डॉ संजीव द्विवेदी एवं कृष्णा साहू के निर्देशन में से विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई, जिनमें सबसे पहले स्वागत गीत और विश्वविद्यालय कुलगीत प्रस्तुत किया गया। इसके बाद देशभक्ति से ओत-प्रोत समूह गायन, लोकगीत, भजन एवं अन्य भावनात्मक गीतों की प्रस्तुति दी गई। छात्रों ने अपने संगीत और गायन कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के समापन पर प्रो. गीता सराफ ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों एवं आयोजन समिति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छात्रों की प्रस्तुतियां विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक चेतना को जीवंत बनाए रखती हैं।