एसएटीआइ सिविल विभाग के डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. जेएस चौहान बताते हैं कि वर्ष 2020 की तुलना में अब तक शहर के आवासीय क्षेत्र में तेजी से विस्तार हुआ है, लेकिन यह विकास केवल जरूरतों को पूरा करने वाला है। वर्ष 2031 तक लक्ष्य के अनुरूप तय क्षेत्र में आवासीय विकास तो हो जाएगा, लेकिन सुंदर शहर नहीं बस पाएगा क्योंकि प्लान के अनुरूप कार्य नहीं हो पा रहा है।
यह भी पढ़ें: एमपी में बंद हो गईं बसें, कई जिलों में आवागमन ठप, जानिए कब तक थमे रहेंगे पहिए डॉ. जेएस चौहान के अनुसार शहर में आमोद-प्रमोद का स्थान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन विदिशा में इस दिशा में विकास का अभाव है। स्लम बस्ती के लिए योजना में कोई स्थान ही नहीं है। विदिशा डेवलपमेंट का जो प्लान बनाया गया है, उसे धरातल पर उतारना मुश्किल होगा क्योंकि पूर्व की उन कमियों को चिह्नित करने के बाद भी दूर नहीं किया गया है। उदाहरण के तौर पर शहर में सीवरेज पाइप लाइन तो ज्यादातर मोहल्लों में डाल दी गई है, लेकिन कनेक्शन नहीं के बराबर हैं। इसी प्रकार आवासीय क्षेत्र में विस्तार तो हुआ, लेकिन अवैध कॉलोनियां बढ़ गईं।
विदिशा को विकसित शहर बनाने के लिए इसके चारों ओर इकोनॉमिक कॉरिडोर विकसित करने का जरूरत भी जताई जा रही है। विदिशा लघु उद्योग संघ के सचिव प्रदीप मित्तल ने यह अहम सुझाव दिया है। उनका कहना है कि विकसित विदिशा का सपना साकार करने के लिए चारों दिशाओं में इकोनॉमिक कॉरिडोर विकसित करना होगा। तीन दिशाओं में तो कार्य चल रहा है, लेकिन दक्षिण दिशा पर किसी का ध्यान नहीं है। जबकि यह दिशा औद्योगिक विकास की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।
प्रदीप मित्तल बताते हैं कि दक्षिण की दिशा में विदिशा, अहमदपुर, धनियाखेड़ी, देहगांव, बमौरी होते बटेरा तिराहा की दूरी 80 किलोमीटर है। मित्तल के मुताबिक इस रूट में राष्ट्रीय राजमार्ग तैयार होने से छींद, बरेली, पिपरिया, गाडरवाड़ा, उदयपुरा, नरसिंहपुर व जबलपुर जैसे प्रमुख शहर तक जाना आसान होगा।
कॉरिडोर से विदिशा से गंजबासौदा, शमशाबाद व सिरोंज सहित कई क्षेत्रों के उद्यमियों को लाभ होगा। इस पर विचार करना चाहिए। विदिशा विकास की योजना में यह शामिल नहीं है, जबकि घोषणाएं हो चुकी हैं। उत्तर में विदिशा से अशोकनगर, पूर्व में विदिशा से सागर और पश्चिम में विदिशा से भोपाल के बीच सुगम मार्ग औद्योगिक विकास में तेजी लाएंगे।
विदिशा की लाइफलाइन है बेतवा
विदिशा के पर्यावरण मित्र नीरज चौरसिया के अनुसार बेतवा नदी विदिशा की लाइफलाइन है। नदी तट में 100 मीटर क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट घोषित किया गया है, लेकिन वहां मैरिज गार्डन व होटल का निर्माण हो रहा है। पौधरोपण की योजना पर भी अमल नहीं हो पाया है। पर्यावरण पर विशेष ध्यान देना होगा। फैक्टरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करना चाहिए। पुरानी कृषि उपज मंडी हो या फिर सब्जी मंडी व बस स्टैंड, इनको शिफ्ट करने की योजना कागज तक सीमित है।