उन्होंने अमरीकी सरकार की कानूनी बॉडी हाउस कमिटी ऑन आर्मड सर्विसेज की एक सुनवाई में कहा कि, ‘पाकिस्तान ने आइएसआइएस-खोरासान के आतंकियों के खिलाफ काफी कार्रवाई की है, दर्जनों आतंकवादियों को मारा है। अमरीका के साथ सूचनाएं साझा की है और बड़े आतंकियों को पकडऩे में मदद की है।
आतंकवादी मोहम्मद सरीफुल्लाह को अमेरिका के हवाले किया
इस दौरान उन्होंने अगस्त, 2021 में 13 अमरीकी सैनिकों की हत्या करने वाले आतंकवादी मोहम्मद सरीफुल्लाह को अमरीका प्रत्यर्पित किए जाने के मामले का भी जिक्र किया। खास बात है कि इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिफ मुनीर की भी तारीफ की। इससे पहले अमरीकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने मंगलवार को कहा कि उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडौ ने पिछले सप्ताह भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति अमरीका के मजबूत समर्थन तथा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की भी पुष्टि की। यह भी पढे़ं: चीन के साथ रिश्ते सुधरने की उम्मीद, चीनी उप विदेश मंत्री आएंगे भारत, जानें इसका क्या होगा असर आतंक के प्रायोजक की छवि ने बाहर निकलने की कोशिश
हम पाकिस्तान के प्रति अमरीका के रवैये में बदलाव और दोनों देशों के बीच गर्मजोशी का फिर से उभरता देख रहे हैं। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान कम से कम अमरीका की नजर में आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में अपनी छवि से बाहर निकलने में सफल रहा है। इस बदलाव के पीछे कई कारक हो सकते हैं।
इनमें बलूचिस्तान में खनिज संपदा भंडार का वादा, व्यापार के अवसरों के प्रलोभन या क्रिप्टो करेंसी में ट्रंप परिवार के निवेश भी शामिल हो सकते हैं। इन सभी का उपयोग करके पाकिस्तान ट्रंप का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा है। सबसे अधिक संभावना है कि यह ट्रंप को व्यक्तिगत और रणनीतिक लाभ का वादा किया गया हो। इसका उद्देश्य भू-राजनीतिक रूप से पाकिस्तान के बारे में अमरीकी दृष्टिकोण को बदलना है। वे अपने प्रयास में सफल होते दिख रहे हैं।